मुरादाबाद में मुसलमानों ने एक कालोनी के गेट पर स्थित दो मकान ख़रीद लिए तो नाराज़ हो कालोनी के 81 हिंदुओं ने बैठक कर पलायन की घोषणा कर दी है। बैनर लगा दिया है कि पूरी कालोनी बिकाऊ है?

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रिपोर्टर:-

वाह,क्या माइंडसेट है,इतनी नफ़रत है उस कालोनी के लोगों को मुसलमानों से।
कालोनी के लोगों का कहना है कि जिन मुसलमानों की रजिस्ट्री हुई है उसे रद्द किया जाए।बताते चलें कि भारत के किसी भी निवासी को ज़मीन ख़रीदकर बसने की आज़ादी है।
मकान या संपत्ति ख़रीदने के लिए किसी निवासी को तीसरे पक्ष से इजाज़त लेने की ज़रूरत नहीं है।
बहरहाल,अपने आज़मगढ़ की हम बात करें तो वहाँ दो ही लोग ज़मीनें ज़्यादा ख़रीदते हैं,एक अहीर मतलब यादव और दूसरे मुसलमान।
इसकी वजह ये है कि दोनों अधिक मेहनत करते हैं और पैसा कमाते हैं,अहीर पशुपालन और गट्टे के बल पर ठेका-पट्टा लेकर पैसेवाला हुआ तो मुसलमान गल्फ़ देशों समेत विदेशों में नौकरी और बिज़नेस कर अमीर हुआ।
अब पैसा आया तो उसे इन्वेस्ट भी करना है,लिहाज़ा संपत्ति और ज़मीन में ये दोनों बिरादरी इन्वेस्ट कर रही है और बाकी बिरादरियों के बहुत लोग पुरखों की ज़मीनें बेच रहे हैं। सबसे ज़्यादा ज़मीनें ठाकुरों की बिकीं।
बहुत से ठाकुरों ने पुरखों की ज़मीनें बेचकर ही अपनी ज़िंदगी बिताई,शादी-ब्याह किए।
जब बिटिया का ब्याह होना होता है तो ठाकुर ज़मीन बेच देता है,
यादव और मुसलमान ख़रीद लेते हैं।आज़मगढ़ में जितने ज़मीन के दलाल हैं,
सब के सब अहीरों और मुसलमानों के इर्द-गिर्द ही चक्रमण करते रहते हैं, और ज़मीनें बताते रहते हैं,
वजह कि उन्हें मालूम है कि पैसा इन्हीं के पास है,यही ख़रीदेंगे।
मुरादाबाद में कालोनी वालों को ये भी छटपटाहट है कि जो मकान बेचे गए उन्हें तीन गुनी क़ीमत पर मुसलमानों ने ख़रीदा।
अब तीन गुनी क़ीमत पर ख़रीदें या छह गुनी पर ख़रीदें,इससे कालोनी वालों को मतलब नहीं होना चाहिए।
यूपी में अब मुसलमानों के पास पैसा है,वो अधिक मेहनती हैं,सरकारी टुकड़ों के भरोसे नहीं रहते,
सरकारी नौकरी के भरोसे भी कम रहते हैं,वजह कि मिलती नहीं,भेदभाव होता है!
भाजपा सरकार आने के बाद मुसलमान और अच्छी तरह समझ गया है कि उसे अब सरकारी नौकरी और नहीं मिलनी है।
मुसलमान अपना बिज़नेस करते हैं,प्रोफ़ेशनल सेक्टर में काम करते हैं,।
विदेशों में नौकरी करने जाते हैं,पढ़ रहे हैं, आगे बढ़ रहे हैं।
जिन मुसलमानों ने ज़मीन ख़रीदी है वो अपने घर में रहेंगे,कालोनी के किसी हिंदू के यहाँ नमाज़ पढ़ने तो आ नहीं रहे हैं!,ना उनकी रसोई में गोश्त पकाने आ रहे हैं,तब कालोनी के हिंदू को मुसलमान से क्यों समस्या है?

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