मुंबई के शिवडी पुलिस स्टेशन की पुलिस ने एक पीड़ित से कहा कि उसकी शर्ट में अपना खून लगाकर पुलिस थाने में बतौर सुबूत जमां करें यह सुनकर आपको ताज्जुब ज़रूर होगा ?
मेहमूद शेख.
मुंबई के शिवड़ी पुलिस थाने की है, जब पुलिस थाने ने एक ऐसे पीड़ित को फोन कर उसे अपने शर्ट में खुद का खून लगा कर पुलिस थाने मे जमा करने के लिए कहा ताकि उसे वह बतौर सुबूत कोर्ट में पेश कर सकें क्योंकि मामला दर्ज करने के समय पीड़ित आकाश गुघे की खून में लतपत वह शर्ट जिसे पुलिस ने पंच कर पुलिस थाने में जमां किया था वह पुलिस थाने से चोरी हो गई है!
चूंकि पंच करने वाली महिला पीएसआई रेखा बांगे थीं और मालमुद्दा की जिम्मेदारी एएसआई लांडे की है,
इसलिए अब यह दोनों पुलिसकर्मी ने पीड़ित को फोन कर अपनी शर्ट खून से लथपथ करवाकर पुलिस थाने में जमां करने के लिए कहा ताकि चोरी हुई शर्ट की जगह इस शर्ट को दिखाया जासके।
पीड़ित ने कहा कि इस तरह से अगर वह करते हैं तो गैर कानूनी है तो दोनों पुलिसकर्मियों ने कहा कि किसी तरह की दिक्कत की बात नहीं हम फिर से उसी समय की तारीख के साथ पंच करेंगे लेकिन पीड़ित ने ऐसा करने से इंकार कर दिया।
बात चीत की रिकार्डिंग press के पास मौजूद है।
पीड़ित ने पुलिस वालों की इस फरमाइश को ठुकराते हुए मौजूदा पुलिस थाने से उसकी वह शर्ट जो चोरी होगई थी उसको लेकर पोर्ट ज़ोन की डीसीपी सुनीता ठाकरे और सीनियर पीआई से शिकायत की।
जिसके बाद उन्होंने इस मामले में जांच के आदेश् जारी किए हैं।
सुनीता ठाकरे ने कहा कि शिकायत मिलने के बाद उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश जारी किए हैं
छानबीन के बाद सच्चाई का जैसे ही पता चलेगा उसके बाद कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
दरअसल साल 2015 में पीड़ित ने आयल माफिया के बहुत बड़े रैकेट के बारे में पुलिस को जानकारी दी।
जानकारी के आधार पर पुलिस ने शिवड़ी इलाके में धड़ाधड़ छापेमारी कर आयल माफियाओं पर नकेल कसने में कामयाब होगई।
शिवड़ी पुलिस थाने ने कुख्यात आयल माफिया संजय लहाने को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे पहुंचा दिया।
लेकिन संजय लहाने जैसे ही जेल से बाहर आया उसने और सारे आयल माफियाओं ने मिलकर शिकायतकर्ता आकाश गुघे को जान से मारने की साज़िश रची और उसपर जानलेवा हमला करदिया।
गंभीर अवस्था में उसे जेजे हास्पिटल में भर्ती किया गया जहां उसे नई जिंदगी मिली।
वारदात के बाद पुलिस के हाथ घटना स्थल के सीसीटीवी समेत कई अहम सुराग मिले और पुलिस ने वारदात में शामिल आयल माफिया संजय लहाने समेत कई लोगों को पुलिस ने जानलेवा हमला करने के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया।
इस मामले में जिस तरह से शर्ट चोरी हो गई उसके बाद पुलिस की छवि दागदार हो गई है।
पीड़ित के अनुसार संजय लहाने को बचाने के लिए पुलिस ने सोची समझी रणनीति तय्यार की जिसके तहेत आयल माफिया संजय लहाने की चार्जशीट 90 दिन के अंदर पुलिस थाने से कोर्ट के लिए रवाना की गई
लेकिन कोर्ट कारकुन रिपोर्ट लेकर गायब हो गया और 90 दिन में कोर्ट में चार्जशीट न जमां करने पर उसे ज़मानत पर रिहा कर दिया गया।
पीड़ित का कहना है कि उसकी रिहाई के बाद ही पुलिस से उसने साठगांठ कर पुलिस थाने से ही घटना स्थल से ज़ब्त खून में लथपथ शर्ट जिसे पुलिस ने बतौर सुबूत कोर्ट में जमां करने के लिए पंच किया उसे गायब कर दिया गया ?
इस तरह से पुलिस ने एक तीर से दो शिकार करते हुए आरोपी को ज़मानत से रिहा भी करवा दिया और मामले के मुख्य सुबूत के तौर पर ज़ब्त की गई खून से लथपथ शर्ट को भी गायब करवा दिया क्योंकि इसी शर्ट के ज़रिए आरोपी को संगीन सज़ा मिल सकती थी।
पीड़ित आकाश गुघे का कहना है कि मौजूदा पुलिस थाने के पुलिस कर्मियों पर उसे विश्वास नहीं रहा!
इसलिए उसने इस वारदात की जांच सीआईडी क्राइम पुणे या सीबीआई से करवाने की मांग की है!
क्योंकि आयल माफिया के खिलाफ़ पुलिस थाने से अगर सबूत गायब किए जा सकते हैं तो भला उसकी जान
कैसे सलामत रहेगी?
क्योंकि साल 2015 में खून में लथपथ जिस शर्ट को बतौर सुबूत पुलिस ने ज़ब्त किया था उसे फारेंसिक लैब में भी नहीं भेजा गया था?