लू लगने से क्यों होती है मौत? इसे ठीक से जानोगे तो बेहतर होगा !
रिपोर्टर.
हम सभी धूप में घूमते हैं ,फिर कुछ लोगों की ही धूप में जाने से अचानक मृत्यु क्यों हो जाती है?
आईए जानें-
हमारे शरीर का तापमान हमेशा 37° डिग्री सेल्सियस होता है, इस तापमान पर ही हमारे शरीर के सभी अंग सही तरीके से काम कर पाते हैं।
पसीने के रूप में पानी बाहर निकालकर शरीर 37° सेल्सियस टेम्प्रेचर मेंटेन रखता है, लगातार पसीना निकलते वक्त भी पानी पीते रहना अत्यंत जरूरी और आवश्यक है।
शरीर में पानी की इसके अलावा भी बहुत आवश्यकता होती है, जिससे शरीर में पानी की कमी होने पर शरीर, पसीने के रूप में पानी बाहर निकालना, टालता है अथवा बंद कर देता है।
जब बाहर का टेम्प्रेचर 45° डिग्री के पार हो जाता है और शरीर की कूलिंग व्यवस्था ठप्प हो जाती है, तब शरीर का तापमान 37° डिग्री से ऊपर पहुँचने लगता है!
शरीर का तापमान जब 42° सेल्सियस तक पहुँच जाता है तब रक्त गरम होने लगता है और रक्त में उपस्थित प्रोटीन पकने लगता है।
ऐसे हालात में बॉडी के स्नायु कड़क होने लगते हैं। इस दौरान सांस लेने के लिए जरूरी स्नायु भी काम करना बंद कर देते हैं !
शरीर का पानी कम हो जाने से रक्त गाढ़ा होने लगता है, ब्लडप्रेशर low हो जाता है, महत्वपूर्ण अंग (विशेषतः ब्रेन) तक ब्लड सप्लाई रुक जाती है।
ऐसी पीड़ा में व्यक्ति कोमा में चला जाता है जिससे उसके शरीर के एक- एक अंग कुछ ही क्षणों में काम करना बंद कर देते हैं, और उसकी मृत्यु हो जाती है!
गर्मी के दिनों में ऐसे अनर्थ टालने के लिए लगातार थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहना चाहिए, ताकि शरीर का तापमान 37° मेन्टेन रह सके।
“Equinox phenomenon”:
इक्विनॉक्स प्रभाव आने वाले दिनों में भारत को प्रभावित करेगा।
अतः 12 से 3 के बीच ज्यादा से ज्यादा घर, कमरे या ऑफिस के अंदर रहने का प्रयास करें।
40 डिग्री तापमान विचलन की अवस्था निर्मित करता है, जो शरीर में निर्जलीकरण और सूर्यातप की स्थिति उत्पन्न कर देता है।
(ये प्रभाव भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर सूर्य चमकने के कारण पैदा होता है)
कृपया स्वयं को और अपने जानने वालों को पानी की कमी से ग्रसित न होने दें।
गर्मियों में, किसी भी अवस्था में कम से कम 3 लीटर पानी प्रतिदिन, जरूर पिएँ।
किडनी की बीमारी वाले अपने चिकित्सक से परामर्श कर, प्रतिदिन कम से कम 6 से 8 ली. पानी पिएँ।
जहाँ तक सँभव हो ब्लड प्रेशर पर नजर रखें। किसी को भी हीट स्ट्रोक हो सकता है।
इससे बचने के लिए ठंडे पानी से नहाएँ।
मांस का प्रयोग छोड़ें। फल और सब्जियों को भोजन में ज्यादा स्थान दें।
बताते है क़ि हीट-वेव” कोई मजाक नहीं है!
एक बिना प्रयोग की हुई मोमबत्ती को कमरे से बाहर या खुले में रखें, यदि मोमबत्ती पिघल जाती है तो ये गंभीर स्थिति है।
शयन कक्ष और अन्य कमरों में 2 आधे पानी से भरे व ऊपर से खुले पात्रों को रखकर, कमरे की नमी बरकरार रखी जा सकती है तथा अपने होठों और आँखों को नम रखने का प्रयत्न करें !