गज़ाना के जलजले में फट चुका था उनका मजार जिसे तामीर करने के लिए हुकूमत ने कब्र को खोदा अंदर महमूद गजनवी का जिस्म बिलकुल सही सलामत पाया,900से भी ज्यादा साल बीत चुके थे , उनका हाथ सीने पर था जो बिल्कुल मुलायम था। यह शान है बुत्शिकन महमूद गजनवी की
सुलतान महमूद ग़ज़नवी
30 अप्रैल 1030 यौमे वफात
30अप्रैल ही के रोज़ बुतशिकन महमूद ग़ज़नवी की वफ़ात हुई थी, महमूद ग़ज़नवी का जन्म अफ़ग़ानिस्तान के ग़ज़ना नगर में हुआ था, आप के वालिद का नाम सुबुक्तिगिन था,
महमूद ग़ज़नवी ने मग़रिबी और शिमाल-मग़रिबी हिंद पर भी हुक़ूमत की है, महमूद ग़ज़नवी एक ऐसा नाम है जिस से कोई हिंदी ही नावाक़िफ़ होगा, हिंदी मुअर्रिख़ों ने महमूद ग़ज़नवी के क़िरदार को दाग़दार किया और आज भी वही छवि तमाम के दिल-ओ-दिमाग़ में छपी हुई है, बहरहाल जो छवि हुनूद ओ यहूद ने बनाई है उस से हटकर कुछ बातें बताना चाहूंगा, महमूद ग़ज़नवी पहला आज़ाद हुक़्मरां था जिसे ‘सुल्तान’ का लक़ब मिला, बुतशिकन सुल्तान महमूद ग़ज़नवी को यामीन उद्-दौला अबुल क़ासिम महमूद बिन सुबुक्तिगिन के नाम से भी जानते है,
बुतशिकन महमूद ग़ज़नवी की लगभग 59 साल की उम्र में 30 अप्रैल 1030 को इंतेक़ाल फरमा गए, महमूद ग़ज़नवी ने लगभग 32 साल हुक़ूमत की, महमूद वो बादशाह थे जिनकी ज़िंदगी आलीशान महलों में नही घोड़ों की पीठ और जंग के मैदान में धूल फांकते गुज़री थी, भारत मे इस्लामिक राज्य को आगे बढ़ाने का श्रेय महमूद ग़ज़नी को भी दिया जाता है।
1974 ईस्वी में ग़ज़ना में ज़लज़ला आया तो बाइस-ए-ज़लज़ला महमूद ग़ज़नवी का मज़ार फट गया, हुक़ूमत ने जब मज़ार को दोबारा बनवाना चाहा और क़ब्र को खोदा तो अंदर महमूद ग़ज़नवी के ज़िस्म को सही-सलामत पाया, 900 सालों से ज़्यादा महमूद ग़ज़नवी के ज़िस्म को दफ़्न किए हो गए थे उसका हाथ सीने पर था ‘जब उठाया तो बिल्कुल मुलायम, यह शान है बुत शिकन महमूद ग़ज़नवी की, हिंदुस्तान में इस बादशाह का सफर कुछ यूं रहा,
सन 1001: गांधार अफगानिस्तान के पास राजा जयपाल को हराया पराजय के बाद जयपाल ने आत्महत्या कर ली, इसके बाद सेवकपल को वहां का गवर्नर बनाया,
1008: हिमाचल के कांगरा में कई हिन्दू राजाओं (उज्जैन, ग्वालियर, कन्नौज, दिल्ली, कालिंजर और अजमेर) को हराने के बाद वहां क़ब्ज़ा कर वहीं के दूसरे हिन्दू राजाओ को अपना गवर्नर नियुक्त किया,
1015: कश्मीर पर चढ़ाई – विफल,
1017: कश्मीर से वापसी के समय कन्नौज, मथुरा और मेरठ के राज्यों पर कब्ज़ा,
1021: अपने ग़ुलाम मलिक अयाज़ को लाहोर का राजा बनाया,
1023:पंजाब पर महमूद ग़ज़नवी का कब्जा, कश्मीर (लोहरा) पर विजय पाने में दुबारा असफल,
1025-26: सोमनाथ राज्य पर हमला वहाँ के राजा भीमा युद्ध छोड़कर भाग गए सोमनाथ के ख़ज़ाने पर ग़ज़नवी का कब्ज़ा हो गया और वहां अपना गवर्नर नियुक्त किया,
गजनवी के साथ मशहूर खगोलशास्त्री अल-बरूनी भी भारत आये जिन्होंने बनारस और नालन्दा से संस्कृति और जयोतिशास्र पर रिसर्च किया जो वापस जाकर गणित, विज्ञान की पढ़ाई के लिए कई यूनिवर्सिटी की तामीर कराई।
Algebra math(बीजगणित) के खोजकर्ता अल-ख्वारिज़्म के बाद अल-बरूनी भारतीय किताबों पर रिसर्च करने वाले दूसरे विद्वान थे,
महमूद ग़ज़नवी पर लिखे अल्लामा इक़बाल के कुछ अशआर पेशे ख़िदमत है ।
क्या नहीं और ग़ज़नवी कारगह-ए-हयात में ।
बैठे हैं कब से मुंतज़िर अहल-ए-हरम के सोमनात ।।
हम से पहले था अज़ब तेरे जहां का मंज़र ।
कहीं मस्जूद थे पत्थर कहीं माबूद शजर ।।
क़ौम अपनी जो ज़र-ओ-माल-ए-जहां पर मरती ।
बुत-फ़रोशी के एवज़ बुत-शिकनी क्यूं करती ।।
संवाद=मो अफजल इलाहाबाद