जानिए मोदी को रोकने के लिए विदेशी ताकतों द्वारा विरोध प्रदर्शन कर रहे पहलवानों को सुप्रीम कोर्ट ने दिया ऐसा झटका ?
राजीव मिश्रा
वरिष्ठ पत्रकार,अधिवक्ता
जंतर मंतर पर 2024 में मोदी को रोकने के लिए विदेशी ताकतों द्वारा विरोध का अखाड़ा तैयार करने के आतुर पहलवानों को सुप्रीम कोर्ट ने दिया झटका।
बृजभूषण शरण सिंह पर सिर्फ आरोप लगाने से कोई बात सही नही होती,सबूत भी होना चाहिए।
देश की शीर्ष अदालत का कहना सही है कि जब एफ आई आर दर्ज हो चुका है तो सुनवाई का क्या मतलब,निचली अदालत में जाएं।आखिर देश की जनता को क्या लगता हैं, पूरे प्रकरण में कही विदेशी ताकतों का हाथ तो नही?
2024 में मोदी जी को हटाने के लिए,पहलवानों के धरने को माध्यम बनाकर विदेशी खेल जो शुरू हुआ है , कही अमेरिका के अरबपति जार्ज सोरस भी शामिल है,जिनका समर्थन भी हो सकता है।
बृजभूषण सिंह दोषी है तो उसको फांसी पर लटकाओ लेकिन जो सवाल देश की जनता के मन में है उनका जवाब कौन देगा?
अगर इतने सालों से उत्पीड़न हो रहा था तो पहले क्यों नहीं बोले और जो वीडियो और फोटो आ रहे हैं अभी 15 दिन पहले तक के क्या वे षड्यंत्र की ओर इशारा नहीं कर रहे है?
आज से दो ढाई महीने पहले जब अमेरिका के पूंजीपति जॉर्ज सोरस ने बिलखते हुए कहा था कि अडानी के मुद्दे पर मोदी ने जवाब नहीं दिया, मोदी को संसद में जवाब देना होगा । उस वक्त जॉर्ज सोरस ने मोदी को तानाशाह बताते हुए ये कहा था कि वो मोदी को हराकर भारत के अंदर दोबारा लोकतंत्र को बहाल करेंगे ।
जॉर्ज सोरस के अंदर राष्ट्रवादियों के प्रति काफी घृणा है । जॉर्ज सोरस ने अमेरिका में ऐलान करके ट्रंप को हराने के लिए अपना खजाना खोल दिया था । जॉर्ज बुश की अगुवाई वाली रिपब्लिकन पार्टी को भी जॉर्ज सोरस ने ऐलानिया हराया था । जॉर्ज सोरस एंटी मोदी एनजीओ संगठनों को खूब पैसा दे रहा है ।और इसका असर अब दिखना शुरू हो गया है ।
जंतर-मंतर पर नौटंकी करने वाले सभी पहलवानों , एक्टिविस्टों और बाहर से आने वाले इनके सहयोगियों तथा नेतागणों को दिल्ली में ठहराने के लिये दिल्ली के एक फाइव स्टार होटल ‘The Royal Plaza’ में ७६०० रुपये प्रतिदिन वाले ६४ कमरे आरक्षित हैं।इसके अतिरिक्त और अन्य अनेक खर्च भी होते ही हैं ।
७६०० रुपये × ६४ = ४८६४०० रुपये + अन्य खर्च
प्रतिदिन १० लाख रुपये खर्च करने के लिये कहाँ से आ रहे हैं इतने रुपये ? कौन है इन सबके पीछे ?
ये सारे काम पहलवानों के तो नहीं हैं।
कर्नाटक में 10 मई को वोट पड़ने वाले हैं और जंतर मंतर पर मोदी विरोध का नया मंच तैयार हो गया है । जिस पर अब तक प्रियंका गांधी, सत्यपाल मलिक, पप्पू यादव और केजरीवाल भी आ चुके हैं । मोदी तेरी कब्र खुदेगी आज नहीं तो कल खुदेगी, ये नारे भी जंतर मंतर पर खिलाड़ियों की मौजूदगी में लगे हैं । सोचिए खेल के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने क्या कुछ नहीं किया । मेडल जीतने से पहले भी हौसला बढाने के लिए बात की और मेडल जीतने के बाद भी सबको हमेशा मिलने के लिए बुलाया और खेल की बेहतरी के लिए प्रयास किए । जब से मोदी जी प्रधानमंत्री बने, मेडल की टैली में भी भारत की स्थिति में सुधार आया । लेकिन इसका सिला मोदी जी को ये मिला कि उनकी मौत की दुआ मांगी जा रही है ।
सबसे बड़ा सवाल ये है कि अब जब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर, बृ़जभूषण शरण सिंह जी के खिलाफ FIR दर्ज कर ली गई है तो जंतर मंतर पर धरने को आगे बढ़ाने की क्या जरूरत है ? लेकिन धरने को इसलिए वापस नहीं लिया जा रहा है क्योंकि कर्नाटक में चुनाव है और वोटिंग होने वाली है । जिस महिला पहलवान के साथ बुरा होता है क्या वो जंतर मंतर पर धरना करती या फिर सीधे पुलिस थाने पर जाती !
किसानों के नाम पर यूपी के अंदर जाटों को उकसाने की कोशिश की गई थी । लेकिन जब यूपी का चुनाव योगी जी जीत गए तो सत्य हिंदी डॉट कॉम पर एक चर्चा में योगेंद्र यादव ने कहा कि हमने पिच अच्छी तैयार की थी रोलर भी चलाया था लेकिन अखिलेश यादव अच्छी बॉलिंग करके योगी और मोदी को आउट नहीं कर सके । ठीक इसी तरह अब जंतर मंतर पर भी मोदी विरोध का अखाड़ा तैयार किया जा रहा है ताकी वेस्ट यूपी और हरियाणा में जाटों को बीजेपी के खिलाफ भड़काने का काम किया जा सके ।
हरियाणा के पहलवानों को लगता है़ कि कुश्ती सिर्फ जाटलैंड की बपौती है़। असल में ये VVIP पहलवान ना तो अभ्यास सत्र में भाग लेना चाहते हैं , ना फिटनेस टेस्ट देना चाहते हैं और न ही किसी राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में भाग लेना चाहते हैं। इन्हें सीधे ओलंपिक खेलना है़ ,चाहे वहाँ डोप टेस्ट में ही फेल होकर वापस आना पड़े। हरियाणा के पहलवानों को उत्तर प्रदेश के एक सांसद का भारतीय कुश्ती महासंघ का अध्यक्ष होना हजम नही हो रहा। कुछ दिन बाद रेसलिंग फेडरेशन का चुनाव हैं।
एकदम साफ है कि ये लोग मोदी विरोधी प्यादे हैं जिनका इस्तेमाल कांग्रेस कर रही है और इसका नुकसान देश को हो रहा है । पीटी ऊषा ने कहा कि ये महिला पहलवान देश को बदनाम कर रही हैं । मैरीकॉम भी पीटी ऊषा के साथ हैं । सवाल ये है कि क्या मैरिकॉम और पीटी ऊषा के मेडल की कोई कीमत नहीं है वो भी तो मेडल विजेता हैं ।
सिर्फ आरोप लगाने से कोई बात सही नहीं होती है । सबूत भी होने चाहिए और अगर महिला पहलवान का दावा है कि 1000 लड़कियों के साथ बृ़जभूषण ने यौन कदाचार किया तो फिर उनको सबूत दिखाने चाहिए।
जिन मेडल्स की ये खिलाड़ी दुहाई दे रहे हैं यह भारतीय कुश्ती महासंघ के कुशल संचालन के कारण ही हो पाया है़। भारतीय कुश्ती को शिखर पर ले जाने में बृजभूषण शरण सिंह के नेतृत्व का अमूल्य योगदान है। वह खुद पहलवान रह चुके हैं। शून्य से शिखर तक का सफर कोई ऐसे ही नही तय कर लेता, वर्षो की कठिन तपस्या,अनुशासित जीवन शैली, लोगो में लोकप्रिय,जनसेवा के लिए कटिबद्ध जीवन के बाद इतना बड़ा राजनैतिक मुकाम हासिल होता है़। ताकतवर या बाहुबली होना फक्र की बात है़ कोई लज्जा का विषय नही ,
एक विशेष परिवार जो कुश्ती पर कब्जा चाहता है वो आखिर नेशनल क्यों नहीं खेलना चाहता है ? सीधे ओलंपिक ही क्यों खेलना चाहता है ? या तो इन सवालों के जवाब देने चाहिए नहीं तो यह ये तमाम सवाल हैं जो पहलवानों के धरने को टूल किट प्रायोजित साबित कर रहे हैं । अंत में जांच के बाद बृज भूषण शरण सिंह पर लगे आरोप निराधार साबित होगा।