CM के आदेश के बाद भी क्यों नहीं सुधर रहे जिम्मेदार महकमें, अधिकारी नहीं उठाते फोन ?

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रिपोर्टर.

सूबे में योगी की सरकार ,है C M योगी लगातार प्रशासन को चुस्त दुरूस्त करने के वादे कर रहे हैं।
लेकिन हालते तस्वीर कुछ ऐसी है कि हालत तो दूर अधिकारियों के फोन तक नहीं उठाते हैं।

ये आलम केवल एक अधिकारी का नहीं है बल्कि कई बड़े अफसरों के सीयूजी नम्बर या तो नॉट रिचेबल हैं रहते है ।
या फिर कॉल डॉयवर्ड पर लगे हैं।

अलबत्ता कॉल लग भी गई तो रिसीव नहीं किये जाते!
ये हाल सूबे के सबसे जरूरी महकमें का है।

जीं हां हम बात कर रहे हैं पुलिस महकमें की जहां पर सुनवाई तो पहले भी होती नहीं थी और अब हालत ये हो गई है कि अधिकारियों पर योगी की डांट का असर केवल चंद मिनट तक रहता है?

इसके बाद फिर वही अधिकारी हैं, जो ना पहले सुधरे थे ना अब सुधरने का नाम ले रहे हैं।

गौरतलब है कि सूबे में सत्ता के लिए संग्राम था भाजपा लगातार तत्कालीन सरकार पर भाजपा ने गुण्डाराज का नाम दिया था।

इसके साथ ही सत्ता में आते ही इसे खत्म करने की बात कही थी। सत्ता मिली वादे दोहराए गये।

सीएम बने योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गुण्डे और अपराधी प्रदेश छोड़ दें। सूबे के प्रशासनिक ढांचे को बदला गया। अफसरों के तबादले हुए ।

अधिकारियों को जनता फ्रेंडली बनने का पाठ पढाया गया।
लेकिन इसके बाद मथुरा, सहारनपुर, जेवर जैसे शर्मनाक कांडों ने सारी पोल खोल दी।
सीएम योगी की सारी कवायद को उनके ही अधिकारियों ने पलीता लगा दिया।

ताजा मामला है कानपुर का जहाँ एक प्रकरण में पीड़ित ने देर रात मदद के लिए डॉयल-100 में सूचना देने के लिए फोन लगातार लगाया लेकिन नहीं लगा।

उसके बाद उसने एक-एक करके पुलिस-प्रशासन के जिम्मेदार अफसरों को फोन लगाया बेल जाती रही लेकिन किसी भी अफ़सर ने कॉल रिसीव नही की।

हार कर पीड़ित ने सीएम आवास में कॉल लगायी जहाँ तत्काल पीड़ित की कॉल रिसीव की गई और उसे न्याय दिलाये जाने का आश्वासन देते हुए पूरे प्रकरण की जानकारी फैक्स द्वारा माँगी गयी ।

यही हाल है सूबे के कई उच्चअधिकारियों का इनके भी फोन का हाल इसके अधिकारियों जैसा ही है पहली बात तो फोन उठाता ही नहीं है।

चाहे आग लगे या तूफान आये साहब तो साहब हैं आप फोन करते रहिए फोन तो उठाने से रहे और ज्यादा फोन किया तो तो नॉट रिचेबल हैं।
ऐसे में जनता अपनी फरियाद और शिकायत करने कैसे जाये ।
शायद ये इसलिए भी हो रहा है कि कम शिकायतें दर्ज होगी!

कार्रवाई कम होगी तो सीएम साहब के सामने बेहतर लॉ एंड ऑर्डर की तस्वीर पेश होगी। लेकिन शायद ऐसा नहीं है ।
ये अधिकारियों को समझना होगा इनको जनता की सेवा करने की सेलरी मिलती है।

जनता टैक्स देती है तो जनता की फरियाद सुनकर तत्काल कार्रवाई करना इनका नैतिक धर्म और कर्तव्य है।
लेकिन साहब तो साहब है जनता मरे तो मरे इनके ऊपर ना असर होता है ना फर्क पड़ता है !

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