भारत के हर शहर में आप चले जाओ हर जगह मुसलमानो का एक ही रोना है कि मुसलमानों पर ज़ुल्मो सितम जारी है?

हमारी कौम
ऐ मुसलमान सुन ले तेरी तो दोहरी बदनसीबी है दुनिया मारेंगी तुझ को मुसलमान समझ कर और कबर में मारे जाओगे की तुम दुनिया में मुसलमान थे ही नहीं!

बात थोडी कडवी लिख रहा हूँ जो सुनने समझने की हिम्मत रखता हो सिर्फ और सिर्फ वही पढ़े।
भारत देश के तमाम शहरो में आप चले जाओ हर जगह मुसलमानों का एक ही रोना है
मुसलमानों पर ज़ुल्म हो रहा है ?
मुसलमान क्या कर सकता है ?
सरकार गैरो की, पुलिस प्रशासन गैरो का, आर्मी गैरो की, वकील गैरो के, जज गैरो के, मीडिया गैरो की सब कुछ गैरो के हाथ में है तो मुसलमान क्या कर सकता है ?
एसी हज़ारो बातो पर हर शहर में मुसलमान रोते हुए नज़र आएंगे।

लेकिन एक सच्ची और बेहद कडवी बात तो ये है कि इस हालात का ज़िम्मेदार कोई और नही खुद मुसलमान ही है।
अपनी पीठ किसी को नज़र नहीं आती।
मुसलमान अपने रब को नाराज़ करके बैठे है।
नौजवानों का तो ऐसा हाल है कि नमाज़ का अता-पता ही नही है।

आज का नौजवान मुसलमान ज्यादा ही मॉर्डन बनने की होड़ में है आज मुस्लिम कल्चर छोड़ बर्थडे मना रहे हैं, केक काट रहे हैं (( यहुदीयों तरीका अपनाया जा रहा है। शादियों में जिस काम से कुरान ने हमें रोका है उन्ही काम को करके फक्र महसूस कर रहे हैं हम जैसे शादियों में फिज़ूल खर्चा, नाच, गाना, बेहयाई वगैरह पुरे मुस्लिम माअशरे में आम हो गई है।

मुस्लिम बहुल इलाकों में आपको कुछ नौजवान नशेड़ी, गंजेडी, चरसी, सटोरी बड़ी आसानी से नज़र आ जाएंगे मगर उन्हें इस काम से रोकने वाला कोई मर्द नज़र नही आएगा।
मुस्लिम नौजवानों की काफी बडी तादाद ज़िनाह खोरी में मुब्तिला है।

बाज़ारो में खुले सर लदे मेकअप अपने हुस्न और जिस्म की नुमाइश करती कुछ मुस्लिम औरते और लड़कियां भी आसानी से नज़र आएगी जिनका परदे से दूर दूर तक कोई वास्ता नही है।
आजकल तो बुरखे भी फिटिंग वाले आ गए हैं जिसे पहनने के बाद जिस्म छुपता तो नही पर आसानी से जिस्म की नुमाइश हो जाती है और शर्म और हैरत की बात ये है कि कुछ शादीशुदा औरतें इसे पहन भी रही है और उनके शोहरो की आंख पर पट्टी बंधी है!

स्कूल, कालेजों में मुस्लिम लडके लडकियों से और मुस्लिम लड़कियां लडको के साथ घुमती फिरती, हंसी मज़ाक करती हुई आसानी से नज़र आएगी।
गरीब भूखा मरे तो कोई बात नही पर कव्वाली पर पैसे ना उडाए तो मज़ा ही नही आता।
आधे से ज़्यादा गरीब मुस्लिम तबका समूह लोन जैसी गंदगी की गिरफ्त में है।
सूदखोरी, ब्याजखोरी , सट्टेबाजी तो रोज़ की ज़िन्दगी का एक काम बन चुका है।

शराब पीते, गाली गलौज करके अपने आपको दबंग, दादा और बहादुर बताने वाले एक झापड़े के गुमराह नौजवान भी हमारी कौम में है।
मोबाइल पर स्टेटस देखो तो आपको झूठे इश्क़ की कहानियों वाले गाने वाले स्टेटस आसानी से दिखेंगे और गंदी फिल्मों से मोबाइल भरे पड़े मिलेंगे।

क्या ये सब करने के बावजूद हम ये सोचे कि हमे अल्लाह की मदद आए पुरी दुनिया पर हमारी हकूमत हों तो ऐसा कभी भी मुमकिन नहीं हो सकता।
चाहे कुछ भी करलो है और आप सब किसी ना किसी गुनाह मे मुब्तिला है।
अगर वाकई हम चाहते हैं कि अब भारत और पुरी दुनिया के मुसलमानों का हाल बदले तो सबसे पहले अपने आप को हमें बदलना होगा।
में बदलूंगा तो मेरा घर बदलेगा मेरा घर बदलेगा तो मेरा मोहल्ला बदलेगा। मेरा मोहल्ला बदलेगा तो मेरा शहर बदलेगा और फिर मेरा देश बदलेगा और फिर कौम की भलाई होगी।

उस वक्त के ओह कितने थे सिर्फ 313 ही तो थे जिन में तकवा हिम्मत और निस्बत थी। कई हजारों पर ये इतनी कम तादाद भी भारी थी। आज के मुसलमान लाखों की तादाद मैं पर इन में ओह जोश,हिम्मत, तकवा और खुदा से मुहब्बत वैसी नही रही आपस में भी एक दूसरे से नफरत, और बुराइयों से लबरेज है दिल। गुस्सा इस कदर कि मुसलमान रहकर भी एक दूसरे पर झगड़े मै खून बहाने से भी नही छोड़ते। आपस में मुहब्बत और एकता नही रही है इसलिए आज से खुद को अल्लाह के हुक्मों पर लाओं नबी ए करीम (( सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम)) की सुन्नतो पर लाओ तब जाकर मेरी और आपकी ज़िन्दगी और आखिरत सुधरेगी और आफियत वाले फैसले होंगे।

संवाद =मो अफजल इलाहाबाद

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