आगाह अपनी मौत से कोई बशर नही, सामान सौ बरस का पल की खबर नही
मराकश में एक इमाम की काबिल ए रश्क मौत!
दौरान ए खुतबा मौत का फरिश्ता आ गया,
खुतबा रोका कलिमा ए शहादत पढ़ा और जान निकल गई!
हैरत की बात ये है कि इमाम साहब खुतबे में तज़्किरा भी मौत का ही फरमा रहे थे!
दरअसल जिंदगी एक लालच भरी जिंदगी है। जबकि
दुनिया फांनी है। एक न एक रोज सारी दौलत यहाँ छोड़ कर खुदा के पास जाना है। ना कोई बीवी काम आयेगी न किसी का बेटा काम आएगा ना रिश्ते नाते दार काम आयेंगे। खुदा के हुक्म से जब मौत आनी है आके ही रहेगी। मौत के फरिश्तों को जब अल्लाह ताला का हुक्म होता है कि फलां इंसान की रूह आज अभी ,जिस वक्त कब्ज करना है तो मलकल मौत के फरिश्ते मरने वाले शख्स के पास पलक झपकते ही पहुंच जाते है और अपना काम पल भर में समेट देते है।
सच है ये आज का इंसान इस बात से अनजान है। रहती जिंदगी में खूब गुम हो गया है।कि इस दुनिया में हम जिंदगी जी रहे है वह जिंदगी देने वाले रब की दी हुई एक पल भर की जिंदगी है। क्या पता कब किसी की मौत आजाए और दुनिया छोड़नी पड़ेगी। कोई किसी का कुछ भी भरोसा नहीं है जिंदगी का भी ऐसा ही मामला है जोकि एक उधार की जिंदगी मिली है ये। पूरा लालच ही लालच है सब और तो कुछ भी नही है। ये मेरा ये तेरा करने में सारी जिंदगी चली जाती है । लेकिन मौत ने कोई किसी को नही छोड़ा और जब टाइम पूरा हो गया ऊपर वाले के बुलावे का तो उसके आगे कोई किसी की ताकत नही रहती उस से टकराने की।
इस लिए ऐ इंसान मत कर इतनी अकड़ और गरूर , बे भरोसे की चंद पाक की मिली जिंदगानी का कुछ भरोसा नहीं है। इस लिए खुदा से लव ,मोहब्बत लगा ले। नही किसी का बुरा सोच । किसी से झगड़ा फसाद न कर। न किसी माल दौलत पर घमंड करना सब धारा रह जायेगा कोई काम नही आयेगा। यहां दुनिया के चंद भरोसे की जिंदगी पर भरोसा न कर।आया था अकेला नंगा मगर वहां सिर्फ हाथ खाली चले जाना है । क्योंकि पूरी दुनिया पर कब्जा और जितने वाले बादशाह सिकंदर का हाल सभी जानते है इसलिए चंद पल की जिंदगी के बारे में ऐसा कहा जाता है कि लाया था क्या सिकंदर दुनिया से ले चला क्या थे दोनो हाथ खाली बाहर कफन से निकले।
इस वीडियो को देख कर ज़रूर इभ्रत हासिल करनी होगी कि अल्लाह वालोंके लिए कुदरत ने कितनी नेक और अच्छी मौत नसीब अता फरमाई है?
मरने के बाद कोई साथ आएगा तो वह है सिर्फ एक उसका नेक आमाल । इस लिए नेक बनो दुनिया की मोहब्बत छोड़ दो अल्लाह से मोहब्बत से अपने दिलों को जोड़ दो।
अचानक मौत आने का और एक जीता जागता वाकया सुनाता हु। मुंबई में हम चौकी मोहल्ला और खांडिया मोहल्ला के बीच मौलाना शौकत अली रोड वाले काफे पेराडाइज होटल अकबर मेंशन की तीसरे माले पर रहते है हमारे घर के ठीक सामने वाले घर में एक अच्छे और नेक शख्स रहते थे। जिनका नाम इरफान भाई है। रोज हमारा और उनका सलाम दुआ चलता रहा था। अभी चार पांच दिन से उनका और हमारा सामना नहीं हुआ क्या वजह थी कुछ पता नहीं चला।सिर्फ इतना पता ज़रूर चला जो रोज हमे देखे सलाम करने और हम भी जिसे देख सलाम दुआ किया करते थे वह इंसान आज की देर रात में अचानक ही दुनिया ए फानी से कोसों दूर चल बसा।
जिसे महज मामूली सा बुखार था।आज दस दिन पहले हमारी उनसे बात हो रही थी वह कुछ मुंह में चबा ते हुए हम से मुखातिब हुए और कहने लगे क्या आज आप साइट पर नही निकले?तो हमने उन्हें पलट कर पूछा ये मुंह में आप क्या चीज चबा रहे हो जनाब? तो जवाब दिया थोड़ा टाइम पास के लिए गुटखा चबाया करता हूं। ये सुनकर हमने उन्हें सलाह दी कि मेरे अजीज भाई ये गुटखा पान मसाला और तामाखू तबियत के लिए कतई ठीक नही है बिलकुल हानि कारक होता है।इस आदत को छोड़ दो प्लीज। तो उन्हों ने हमारी हिदायत पर हां कहा।
हमे अच्छा लगा।उसके बाद मुसलसल तीन चार रोज तक हमारा और उनका बाकायदा एक दूसरे की खैरियत पूछना और सलाम होता रहा।इस बीच तीन चार दिनों से उनको हमने देखा नही तो हम उन्हे याद करते रहे। कल देर रात मे वह अचानक लंबी सांस की तकलीफ में मुब्तिला हो गए और अचानक इंतकाल फरमा गए। इन्ना लिलल्लाहे वा इन्ना इलयही राजीउन। लॉक डाउन के दिनो से लेकर अबतक अपने गांव यूपी परिवार से मिलना चाहते थे मगर वक्त का हिसाब देखिए उनकी बीवी, बाल बच्चे सब यूपी में है और ये मरहूम मुंबई में रहते थे।अचानक चल बसे।
इस् तरह के दर्द भरे वाकियात सुनकर किसी का भी दिल पसीज जाता है।
कहने का मतलब है कि अल्लाह ताला की मर्जी बगैर एक पत्ता भी हिल नही सकता। अगर किसी की मौत लिखी गई है तो हर हाल में मुकर्रर है।