कॉफी का इतिहास काफी पुराना है, जिसे भारत लाने का श्रेय मुस्लिम सूफी संत बाबा बुदान को दिया जाता है,जानिए और भी खास जानकारी
एमडी डिजिटल न्यूज चैनल
विशेष संवाददाता एवं ब्यूरो
किसी जमाने मे कॉफ़ी को “सूफिया का कहवा” कहा जाता था ।
कॉफी का इतिहास काफी लंबा है। कहा जाता है कि यह इथोपिया के बाद अरेबिया से जुड़ा। सबसे पहले कॉफी का सेवन 875 ई. पूर्व शुरू हुआ। अरबियन लोगों ने कॉफी को ट्रेंड में शामिल किया। यहां कॉफी केवल घरों में ही नही पी जाती थी बल्कि सार्वजनिक स्थानों पर पीने का भी चलन था।
बताते है कि उस वक्त तक कॉफी सिर्फ अरब और यमन के लोग ही पीते थे। कॉफी के बीजों को अरब से बाहर ले जाने पर कानूनी प्रतिबंध था। अरब के लोग कॉफी के बीजों को पीसकर पानी में मिलाकर पीते थे। कहा जाता है कि बाबा बुदान कॉफी के सात बीजों को अपनी कमर में बांधकर ले आए। इसके बाद उन्होंने इसके पौधे को यहां उगाया और भारत के लोगों ने कॉफी का स्वाद चखा।
सूफी बुदान कर्नाटक के चिक्कामगलुरु जिले के रहने वाले थे।
भारत में कॉफी लाने का श्रेय मुस्लिम सूफी संत बाबा बुदान को जाता है। बुदान हज से लौटते वक्त जब यमन के रास्ते आए तो उन्होंने लोगों को रास्ते में इस अजीब से पेय पदार्थ को पीते हुए देखा। बुदान ने जब इसका स्वाद चखा तो उन्हें यह पेय पदार्थ बहुत अच्छा लगा और उन्होंने इसे भारत लाने की सोची।
कॉफी विश्व में सबसे ज्यादा पी जाने वाली पेय पदार्थों में से एक है। पंद्रहवी शताब्दी में अरब निवासियों ने सबसे पहले कॉफी उगाई। इसके बाद धीरे-धीरे इसका विस्तार विश्व के सभी देशों में हुआ। 1570 के आसपास यूरोप पहुंची कॉफी फिर 1843 में एक फ्रेंच ने विश्व की सबसे पहली व्यवसायिक एस्प्रेसो मशीन बनाई।
संवाद: मो अफजल इलाहाबाद