यहां के कुछ अस्पतालों में मरीजों के इलाज के नाम पर धोखाधड़ी ही नही बल्कि जिंदगी और मौत का खुलेआम व्यापार होता है,शासन प्रशासन बेखबर?
कल्याणपुर
संवाददाता
कल्याणपुर क्षेत्र में लगभग 150 निजी अस्पताल मौजूद हैं, जो मरीज को स्वास्थ्य और जिन्दगी देने का दावा करने के लिए जाने जाते हैं लेकिन जो हकीकत में हकीकत से कोसो दूर, बहुत दूर हैं, जहाँ असल में जिंदगी और मौत का खुला व्यापार चल रहा है। जिंदगी के लिए रूपयों की बोली लगती है। मगर मुँह मांगे रुपये मिल जाने के बाद भी जिंदगी मिल जायेगी या फिर से नये रुपयों की मांग नहीं खड़ी की जायेगी इस बात की कोई गारंटी नहीं होती?
बिना मानक और बिना स्पेस के सैकड़ो अस्पताल कानपुर मुख्य चिकित्सा अधिकारी के लिए चुनौती बने हुए हैं।
ग्रामीण क्षेत्र से दलालों के माध्यम से बुलाए जाते मरीज और इंजेक्शन, दवा के नाम पर हजारों की वसूली भी मरीज से होती है।
₹2 की टेबलेट की कीमत ₹50 वसूली जाती है तथा ₹20 के इंजेक्शन की कीमत भी 1000 से लेकर 4500 रुपए तक ली जाती है।
गौर तलब कीजिए कि ज्यादातर दवाइयां जेनरिक होती हैं फर्जी कंपनियों के लोगो आदि लगाकर मोटी वसूली की जाती है।
जिसकी वजह से कई हॉस्पिटल कल्याणपुर क्षेत्र में सील हो चुके हैं लेकिन नोट पर छपे गांधी की कृपा से कुबेर रूप में कानपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी भी खुश हो जाते हैं और कृपा बरसा देते हैं। जिससे इन अस्पताल संचालकों पर कोई आंच नहीं ना इनके खिलाफ कार्रवाई में कोई अड़चन आती है।
जैसे जेके हॉस्पिटल तिरुपति , तुलसी, वैष्णवी, किरन, सौभाग्य समेत बड़े-बड़े नामी हॉस्पिटल भी मानक विहीन है। जिनके अनट्रेंड स्टाफ वहां के मुख्य कर्ताधर्ता है।
अस्पताल के मैनेजर साहब का ऐसा रौब है कि लोकल मीडिया हो या लोकल प्रशासन सहित राजनीतिक गलियारों में भी अपना जाल फैलाकर निजी अस्पताल को भी एक नंबर बनाने में नहीं चूकते!
अगर हम कानपुर के रीजेंसी हॉस्पिटल की भी बात करें तो भले ही वन वे हो, लेकिन रीजेंसी हॉस्पिटल की पार्किंग 20 फीट चौड़े सरकारी रोड पर होती है। जबकि सामने संभागीय परिवहन कानपुर रीजन का मुख्य कार्यालय भी है।
बात आती है फर्जी और अवैध अस्पताल तथा फर्जी पैथोलॉजी की, इन पर कार्यवाही कब होगी.? जिम्मेदार
मुख्य चिकित्सा अधिकारी कानपुर उत्तर प्रदेश
जिलाधिकारी कानपुर नगर उत्तर प्रदेश,
उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ।
रिपोर्ट
साभार
मुख्य संपादक अरविंद सिंह यादव।