इस बार के लोक सभा चुनाव में 400पार का नारा लगाने वाली बीजेपी के हाथों फिसलता हुआ लग रहा है खेल

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संवाददाता एवं ब्यूरो

बीजेपी के हाथ से फिसलता लोकसभा चुनाव, कुछ ने चुनाव के पहले तो कुछ टिकट के बाद छोड़ रहे मैदान
 
एक तरफ लोकसभा चुनाव सर पर है, और दूसरी तरफ बीजेपी को एक के बाद एक बड़ा झटका लग रहा है। बीजेपी सांसद गौतम गंभीर और जयंत सिन्हा के चुनाव मैदान से भागने के बाद अब भोजपुरी स्टार पवन सिंह से भी बीजेपी का टिकट मिलने के बाद लोकसभा चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है। यही नहीं गुजरात के पूर्व डिप्टी मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने तो मेहसाणा सीट से अपनी दावेदारी ही वापस ले ली है।

बीजेपी की हालत इतनी ख़राब है कि पार्टी ने असम में परिसीमन हो जाने के बाद भी पहले वाली सीटों पर ही अपनी लिस्ट निकाल दी। बहुत किरकिरी होने के बाद भी नई लिस्ट लानी पड़ी। घोषित लोकसभा टिकट को लेकर जहाँ राजनीतिक पंडितों ने आश्चर्य जताया है।वहीं कुछ लोगों ने इसे मोदी और शाह की बीजेपी पर कमजोर होती पकड़ का प्रमाण भी माना जा रहा है। मीडिया और सोशल मीडिया पर भी बीजेपी के चेहरों के चयन पर खासी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।

बीजेपी ने ये सोचा भी नहीं था कि जनवरी में जो लोकसभा चुनाव वो अपनी झोली में होने का दावा कर रहे थे, मार्च आते-आते वो कई सीटों पर हाथ से फिसलता और अधिकांश सीटों पर कांटे की टक्कर वाला हो चुका है।

आखिर कहाँ चूक गई बीजेपी ?

ये सवाल मीडिया से लेकर तो राजनीतिक गलियारों में सुर्खियाँ बटोर रहा है कि आखिर कहाँ चूक गई बीजेपी ? इसके दो ही जवाब हो सकते हैं,
पहला यह कि
– बीजेपी ने कांग्रेस और इंडिया गठबंधन की एक साल से चल रही तैयारियों को कमतर आँका;
और दूसरा
– बीजेपी हक़ीक़त में लोकसभा चुनाव के लिए तैयार ही नहीं थी।

 
मीडिया की हवा मीडिया तक ही सीमित

बताते चलें कि मीडिया ने बीजेपी के पक्ष में जो हवा बनाने के कोशिश की थी वो चुनाव की घोषणा के पहले ही केवल मीडिया कक्ष तक ही सिमट चुकी है। जनता को मीडिया की चाकरी की अच्छे से भनक लग चुकी है, इसलिए बीजेपी और मीडिया को सीधे सीधे जनता से लड़ना पड़ रहा है।

 
एक बात कभी नहीं भूलनी चाहिए कि राजनीति में हवा जब जमीन छोड़ देती है, तो उसके भी परिणाम अप्रत्याशित आते हैं। पूरा देश देख रहा है कि किस तरह बीजेपी जमीन छोड़कर हवा में चुनाव लड़ना चाहती है, आगामी लोक सभा चुनाव में शायद बीजेपी को इसकी महंगी कीमत चुकानी पड़ेगी।

संवाद;पिनाकी मोरे

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