चुनावी मौसम को देख मंदिर की ओर दौड़ने लगते है,अगर ऐसा ही भगवान की पूजा अर्चना करनी है तो आप राजनीति को त्याग कर संत महात्मा बन जाए, सब पाप धुल जाएंगे

विशेष संवाददाता एवं ब्यूरो

मोदी जी को देश का प्रधान मंत्री बने दस साल बीत गए किंतु उन्ही ने आजतक मीडिया से रूबरू होते कोई प्रेंस कांफ्रेंस नही की।केवल
विदेशों के प्रधानमंत्री चुनाव लड़ने से पहले मीडिया के सार्वजनिक मंचों पर आकर डिबेट करते रहते हैं, भविष्य के मुद्दों और कार्यों हेतु बकायदा मेनिफेस्टो होता है और यदि वह तमाम वादे पूरे नहीं किये जाते तो ईमानदारी से अपना इस्तीफा दे देते हैं।

लेकिन क्या हमारे देश मैं ऐसा होता है?

हमारे यहाँ चुनावों से पहिले PM मोदी मदिर की ओर दौड़ते हैँ! क्यों करते रहते है ऐसा?
क्योंकि आज पूजा पाठ, भुखमरी, महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी सब पर भारी है। तो क्या पूजा पाठ करने से ये सब तकलीफें दूर हो जाएगी?ऐसा करने से कोई व्यक्ति बेहतरीन नेता साबित होगा ?

यदि हाँ तो बन्द कीजिए यह चुनावी प्रक्रिया,और बंद करिए सब ढोंग धतूरे और घोषणा पत्र वादे, इरादे इत्यादि की नौटंकी।
क्योंकि आखिर में वे सब जुमले ही साबित होने हैं।
चलो थोड़ी देर के दो घड़ी के लिए मान लिया जाय कि मोदी बहुत बड़े धार्मिक इंसान हो, तुम्हें यदि मोदी को यही करना है तो नेता क्यों बने हो? भगवान की सेवा करने का मन है तो राजनीति को त्याग क्यों नहीं करते उम्र भी तो हो चुकी है पूजा पाठ। करने की।।

कोई धर्माचार्य, धर्मगुरु बनकर आराम से अध्यात्म से जुड़े रहो करते रहो जिंदगी भर भगवान की सेवा, ये फालतू का ड्रामा काहे का?
10 साल के बाद क्या आपके पास ऐसा क़ोई विजन नहीं है हिन्दू मुस्लिम को छोड़कर जिससे आप जनता के बीच जाकर वोट मांग सको ?
जागो भारत..जागो।

साभार;पिनाकी मोरे

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