कांग्रेस पर मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव संग्राम संकट की छाया में,बड़े नेताओं का चुनाव लडने से इंकार?

मध्य प्रदेश
संवाददाता
पंकज पाराशर छतरपुर

लोकसभा चुनाव का संग्राम, मध्य प्रदेश में कांग्रेस का संकट: बड़े नेताओं का लड़ने से किया इनकार अब विधायकों पर दांव चलने की तैयारी

आयोग ने पूरे देश में चुनाव की तारीखों का ऐलान कर ही दिया है। मध्य प्रदेश में 4 चरणों में वोटिंग होगी और पहले फेज की वोटिंग 19 अप्रैल को होगी यानी अब से ठीक एक महीने बाद लेकिन कांग्रेस ने सूबे की सभी 29 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान नहीं किया है। उसने अभी तक केवल 10 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं जबकि बाकी 18 सीटों पर माथापच्ची जारी है।

एक सीट कांग्रेस ने गठबंधन के तहत खजुराहो लोकसभा क्षेत्र समाजवादी पार्टी को दी है। जानकारों का कहना है कि पार्टी को ढूंढने से भी हैवीवेट उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं। हालत ये है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस के कई बड़े नामों ने साफ-साफ या फिर इशारों में सांसदी का चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। जिसकी वजह से मजबूरी में पार्टी अब अपने कई मौजूदा विधायकों को लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में उतारने का मन बना रही है।

हालांकि पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ऐसी किसी बात से इनकार कर रहे हैं। दूसरी तरफ बीजेपी ने प्रदेश की सभी 29 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं। दरअसल प्रदेश कांग्रेस के कई बड़े नेता चुनाव लड़ने से इनकार कर चुके हैं और कुछ के नाम पर सस्पेंस कायम है। जिसमें कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और जीतू पटवारी जैसे नेता शामिल हैं जो सार्वजनिक मंच से चुनाव लड़ने से इनकार कर चुके हैं। इस मसले पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अलग ही तर्क दिया है, उनका कहना है कि मेरे लोकसभा चुनाव लड़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता क्योंकि मेरा राज्य सभा का कार्यकाल अभी बचा हुआ है। पार्टी आलाकमान जिस भी प्रत्याशी को राजगढ़ से उतारेगी उसका मैं पूरी ताकत से समर्थन करूंगा।

कांग्रेस को भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर जैसी सीटों पर मज़बूत प्रत्याशी तलाश है लेकिन बड़े नेताओं के इस रूख से पार्टी आलाकमान परेशान है। इसी बीच अब ये खबर आ रही है कि कांग्रेस ने कई सीटों पर दो से तीन नामों का पैनल तैयार कर लिया है। जिसमें कई मौजूदा विधायकों के नाम शामिल हैं। कांग्रेस के साथ दूसरी दिक्कत ये है कि बीजेपी के महिला आरक्षण बिल और 6 महिला उम्मीदवारों के सामने कांग्रेस को बराबरी से महिलाओं को उतारने में मशक्कत करनी पड़ रही है, कांग्रेस के सामने जिताऊ महिलाओं का चयन करना चुनौती बन रहा है।

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