देदी हमे आज़ादी बिना खड़ग बिना ढाल , साबरमती के संत तूने करदिया कमाल, आंधी में भी जलती रही गांधी तेरी मशाल, साबरमती के संत तूने करदिया कमाल !

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रिपोर्ट:-जैन शेख.

2 अक्तूबर के दिन आज पूजनीय महात्मा गांधी जी की देश भर में जयंती मनाई जा रही है।
हम सभी को आजादी से खुली हवा में सांस लेना बेहद अच्छा लगता है।
परन्तु इस खुली हवा का व हमारी आजादी का श्रेय किसे जाता है?

हज़ारों देशप्रेमियों ने अपनी बलि चढ़ाकर हमें उपहार में आजादी दी है।
और इन्हीं देशप्रेमियों में से एक अनोखा शख्स वह है जो धोती कुर्ता पहने लाठी लेकर तथा चेहरे पर एक मुस्कान लिए बिना शस्त्र हमारी आजादी के लिए निस्वार्थ भाव से लड़ता रहा !

दे दी हमें आज़ादी बिना खड्‌ग बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल आंधी में भी जलती रही गांधी तेरी मशाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल !
हम में से कई लोग इन्हें महात्मा गांधी जी कहकर पुकारते हैं, कई इन्हें बापू बुलाते हैं तथा कई लोग राष्ट्रपिता के रूप में इन्हें जानते हैं !

यूँ तो गांधी जी का देहांत बहुत वर्ष पूर्व हो चुका है ।
परन्तु आज भी लोग इन्हें अपना पथ प्रदर्शक मानते हैं तथा इन्हीं के सिद्धांतों का अनुसरण करते हुए अपने जीवन की दिशा निर्धारित करते हैं !

इन्हें किसी परिचय की जरुरत तो नहीं पर आज हम आपको महात्मा गाँधी की जीवनी विस्तार से बताएँगे जिसमें कुछ ऐसे तथ्य हैं जिन्हें आप शायद नहीं जानते महात्मा गांधी का जन्म और माता-पिता महात्मा गांधी यानि मोहनदास करमचंद गांधी, यही उनका पूरा नाम है।
उन का जन्म 2 October 1869 को गुजरात में स्थित काठियावाड़ के पोरबंदर नामक गाँव में हुआ था ।

उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था तथा आप में से बहुत कम लोग ये जानते होंगे कि ब्रिटिशों के समय में वे काठियावाड़ की एक छोटी से रियासत के दीवान थे ।
उनकी माता पुतलीबाई, करमचंद जी की चौथी पत्नी थी तथा वह धार्मिक स्वभाव की थीं ।

अपनी माता के साथ रहते हुए उनमें दया, प्रेम, तथा ईश्वर के प्रति निस्वार्थ श्रद्धा के भाव बचपन में ही जागृत हो चुके थे।
जिनकी छवि महात्मा गाँधी में अंत तक दिखती रही ।
उनकी प्राथमिक शिक्षा काठियावाड़ में ही हुई तथा उसके उपरान्त बालपन में ही उनका विवाह 14 वर्ष की कस्तूरबा माखनजी से हो गया !
क्या आप जानते हैं कि महात्मा गांधी अपनी पत्नी से आयु में 1 वर्ष छोटे थे !

जब वे 19 वर्ष के हुए तो वह उच्च शिक्षा की प्राप्ति हेतु लंदन चले गए जहां से उन्होंने कानून में स्नातक प्राप्त की ।

विदेश में Gandhi Ji ने कुछ अंग्रेजी रीति रिवाज़ों का अनुसरण तो किया पर वहाँ के मांसाहारी खाने को नहीं अपनाया ।

अपनी माता की बात मानकर तथा बौद्धिकता के अनुसार उन्होंने आजीवन शाकाहारी रहने का निर्णय लिया तथा वहीँ स्थित शाकाहारी समाज की सदस्यता भी ली !
कुछ समय पश्चात वे (Mahatma Gandhi) भारत लौटे तथा मुंबई में वकालत का कार्य आरम्भ किया जिसमें वह पूर्णत: सफल नहीं हो सके !

इसके पश्चात उन्होंने राजकोट को अपना कार्यस्थल चुना जहां वे जरूरतमंद व्यक्तियों के लिए वकालत की अर्जियां लिखा करते थे

इसके बाद वह सन 1893 में दक्षिण अफ्रीका की एक भारतीय फर्म में वकालत के लिए चले गए जहां उन्हें भारतीयों से होने वाले भेदभाव की प्रताड़ना सहनी पड़ी ?
यहाँ उनके साथ कई ऐसी अप्रिय घटनाएं घटीं जिन्होंने गांधी जी को समाज में होने वाले अन्याय के प्रति झकझोर कर रख दिया !

उसके पश्चात ही उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा भारत में हो रहे अत्याचार के विरुद्ध तथा अपने देशवासियों के हित में प्रश्न उठाने आरम्भ किये !

1906 में Mahatma Gandhi फिर दक्षिण अफ्रीका में थे जहां उन्होंने जुलू युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।

इसके उपरान्त सन 1915 में वे सदैव के लिए स्वदेश लौट आए ।
जिस समय वह यहाँ पहुंचे उस समय देश में चारों तरफ अंग्रेजों द्वारा अत्याचार हो रहा था ।
जमींदारों की शक्ति से प्रभावित भारतीयों को बहुत कम भत्ता मिला करता था जिससे देश में चारों तरफ गरीबी छा गयी थी !

गुजरात के खेड़ा गाँव में एक आश्रम बनाकर उन्होंने तथा उनके समर्थकों ने इस गाँव की सफाई का कार्य आरम्भ किया तथा विद्यालय व् अस्पताल भी निर्मित किये गए ।
खेड़ा सत्याग्रह के कारण Mahatma Gandhi को गिरफ्तार कर यह जगह छोड़ने का आदेश दिया गया,
जिसके विरोध में लाखों लोगों ने प्रदर्शन किये ।

गांधी जी के समर्थक व् हज़ारों लोगों ने रैलियां निकालीं , उन्हें बिना किसी शर्त रिहा करने के लिए आवाज़ उठाई जिसके फलस्वरूप उन्हें रिहाई मिली ।

जिन जमींदारों ने अंग्रेजों के मार्गदर्शन में किसानों का शोषण किया, गरीब लोगों को क्षति पहुंचाई, उनके विरोध में कई प्रदर्शन हुए जिनका मार्गदर्शन गांधी जी ने स्वयं किया।

उनकी देश के लिए निस्वार्थ सेवा को , देशवासियों के लिए प्रेम को देखते हुए लोगों ने उन्हें बापू कहकर संबोधित किया।
खेड़ा तथा चम्पारण में सत्याग्रह में सफलता पाने के बाद महात्मा गांधी पूरे देश के बापू बन गए ।
सन 1921 में गांधी जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए।

उन्होंने स्वदेशी नीति अपनाते हुए देशवासियों को विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने के लिए प्रेरित किया ।
लोगों से खादी पहनने हेतु आग्रह किया तथा महिलाओं को भी अपने इस आन्दोलन का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया ।

गांधी जी ने देश के उन लोगों से जो अंग्रेजों के लिए कार्य कर रहे थे तथा उनकी सरकारी नौकरी कर रहे थे, उनसे भी कार्य छोड़ने का आग्रह किया।
गाँधी जी की हत्या का जिम्मेदार नाथूराम गोडसे था जो राष्ट्रवादी हिन्दू था ,गांधी जी को भारत को कमज़ोर करने का दोषी मानता था क्योंकि उन्होंने पाकिस्तान को 55 करोड़ का भुगतान किया था !

जब 30 जनवरी 1948 को रात्रि में दिल्ली के बिरला भवन में घूम रहे थे उस समय नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर गांधीजी की हत्या कर दी !
नवम्बर 1949 में नाथूराम गोडसे और उसके सहयोगी को भी फांसी दे दी गयी ।

गांधी जी देश के ऐसे नेता थे जिन्होंने बिना शस्त्र उठाये अंग्रेजों को इस देश से बाहर कर दिया !
अपने परिवार को त्याग कर संपूर्ण जीवन उन्होंने देश के हित के लिए लड़ाई लड़ी ।

अंत में देश के हित के लिए ही शहीद हो गए ! इनका संपूर्ण जीवन भारत के सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए प्रेरणादायक बन गया ।
गांधी जी का महत्वपूर्ण कथन बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत बोलो।

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