जबतक हम जैसे समझदार बेवकूफ रहेंगे ये होशियार कभी भूखे नही रहेंगे
संवाददाता
आजकल बड़े बड़े रेस्तराँ में पकवानों के नाम ‘अंग्रेज़ी’ में रखकर यह साबित किया जाता है कि “जब तक हम जैसे समझदार बेवकूफ रहेंगे
ये होशियार कभी भूखे नहीं मरेंगे।
अब देखिये कुछ डिश के नाम
रोसेटो अल्जफर्नो
और ये डिश है भात और लाल साग मिला हुआ..
दाम 375 रूपये।
नाचोस विथ सालसा
यह है नमकीन खस्ता..कच्चे टमाटर की चटनी के साथ…
दाम 195 रूपये..
अब खस्ता और टमाटर चटनी बोलने से कोई 195 रूपये तो नहीं देगा न.
“कच्चे टमाटर की चटनी के साथ खस्ता खा रहे हैं ”
बोलने में शर्म आती है।
सिनोमिना सुफले
सूजी का हलवा है दाम 175 RS
चावल के मांड़ को भी ‘राइस सूप विथ लेमन ग्रास’ बोलकर 150 में परोस देते हैं।
और ये कूल ड्यूड बड़े इतरा कर बोलते हैं
“I am having rice soup with NACHOS WITH SALSA….LOL
अब यह कोई थोड़े ही बोलेगा क़ि माँड़ पी रहें हैं खस्ता के साथ।
एक डिश है इंडिलाचा
सब्जी से भरे हुए पराठा को कहते हैं…
200 रूपये का..
सतुआ’ बोलोगे तो लोग गंवार बोल बड़ी हीन दृष्टि से देखेंगे लेकिन
गर्म ज्यूस विथ पेपर’
बोलने से स्टैंडर्ड बढ़ जायेगा।
कुकर में उबला हुआ 5 रूपया के भुट्टे को 50 रूपया में ‘स्वीट कॉर्न’ बोलकर बेच देते हैं और लोग भी शान से खाते है।
Moral of the story-
जब तक बेवक़ूफ़ ज़िन्दा हैं अक़्लमन्द भूखे नहीं मरेंगे
जन हित में