SC ने ठुकराई सभी विपक्ष दलों की VVPAT वाली मांग ,इसे देख मोदी जी की बल्ले बल्ले

नई दिल्ली
संवाददाता

VVPAT को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की सभी याचिकाएं, बैलेट पेपर की मांग भी ठुकराई

सुप्रीम कोर्ट ने EVM-VVPAT को लेकर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने सभी 100 फीसदी सत्यापन की याचिकाएं खारिज की है। EVM-VVPAT को लेकर जजों ने यह फैसला सहमति से लिया है।

आपको बता दें कि कोर्ट ने VVPAT के साथ EVM के वोटों के 100 फीसदी सत्यापन की मांग करने वाली याचिका पर यह फैसला दिया है। कोर्ट ने फैसला सुनाते समय पेपर बैलेट की मांग को भी खारिज कर दिया है।

इस फैसले से साफ हो गया है कि VVPAT पर्ची के मिलान की दलील सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है।

गौर तलब हो कि वीवीपीएटी एक स्वतंत्र वोट सत्यापन प्रणाली है। इसके जरिए वोटर यह जान सकते हैं कि उनका वोट उसी व्यक्ति को गया है या नहीं जिन्हें उन्होंने वोट दिया है।

दरअसल, पिछली सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने ईवीएम के माध्यम से डाले गए वोटों का वीवीपीएटी के साथ सत्यापन करने संबंधी अनुरोध वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था। इस को लेकर विपक्ष काफी खुश था।मगर कल लिए गए एससी के फैसले के बाद विपक्ष में नाराजी व्यक्त की जा रही है।

इस दौरान बेंच ने चुनाव आयोग की आयोग की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एश्वर्या भाटी से कहा, हम गलत साबित नहीं होना चाहते बल्कि अपने निष्कर्षों को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त होना चाहते हैं। इस कारण हमने स्पष्टीकरण मांगने का सोचा।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद चुनाव आयोग ने प्रतिक्रिया दी है। चुनाव आयोग ने कहा कि कोर्ट के इस फैसले के बाद अब किसी को शक नहीं रहना चाहिए। अब पुराने सवाल खत्म हो जाने चाहिए।. सवालों के वोटर के मन में शक होता है. चुनाव सुधार भविष्य में भी जारी रहेगा।

भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) ने 2013 में VVPAT यानी वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल मशीनें डिजाइन की थीं। ये दोनों वही सरकारी कंपनियां हैं, जो EVM यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें भी बनाती हैं।

VVPAT मशीनों का सबसे पहले इस्तेमाल 2013 के नागालैंड विधानसभा चुनाव के दौरान हुआ था। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में कुछ सीटों पर भी इस मशीन को लगाया गया। बाद में 2017 के गोवा विधानसभा चुनाव में भी इनका इस्तेमाल हुआ।

2019 के लोकसभा चुनाव में पहली बार VVPAT मशीनों का इस्तेमाल देशभर में किया गया।. उस चुनाव में 17.3 लाख से ज्यादा VVPAT मशीनों का इस्तेमाल किया गया था।

वोटिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए VVPAT को लाया गया था। ये मशीन EVM से कनेक्ट रहती है। जैसे ही वोटर वोट डालता है, वैसे ही एक पर्ची निकलती है। इस पर्ची में उस कैंडिडेट का नाम और चुनाव चिन्ह होता है, जिसे उसने वोट दिया होता है।

VVPAT की स्क्रीन पर ये पर्ची 7 सेकंड तक दिखाई देती है। ऐसा इसलिए ताकि वोटर देख सके कि उसका वोट सही उम्मीदवार को गया है। 7 सेकंड बाद ये पर्ची VVPAT के ड्रॉप बॉक्स में गिर जाती है।

संवाद: मोहमद अरशद यूपी

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