जीवन चाहे कितना भी अभावों भरा हो,आप तो हमेशा प्रेरित एवं उत्साहित रहते है!

विशेष संवाददाता एवं ब्यूरो

अपक्ष नेता राहुल गांधी की बात करे तो
ईनके पास सत्ता की ताकत नही,पर बेइंतहा साहस, उद्देश्य और प्रेम है।

हार्वर्ड विश्वविद्यालय के बिजनेस मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट द्वारा आज से कई दशक पूर्व किये गए सर्वे में महात्मा गाँधी जी को दुनिया का सबसे बड़ा लीडर पाया गया। जिनके पास ना पूंजी थी ना सेना, पर उनके पास जो अमूल्य चीज थी वह थी सत्य, अहिंसा का नैतिक बल।

महात्मा गाँधी यह अच्छी तरह जानते थे कि एकजुटता महान लीडरशिप का मूल सिद्धांत है, तभी तो अहमदाबाद में उनके साबरमती आश्रम में यह टिप्पणी अंकित है कि
” इस संसार में सभी तरह के लोग रहते हैं, जो जल और जमीन, धर्मों, परम्पराओं और रूढ़ियों में बंटे हुए हैं। इनका दिल और दिमाग भी उसी तरह है। अचानक या भावावेश में आकर ये खिल उठते हैं या फूट-फूटकर रो पड़ते हैं, यानी लड़ते हैं, झगड़ते हैं, नाचते हैं, गाते हैं और प्रार्थना करते हैं। उस समय ये एक दिमाग, एक दिल हो जाते हैं और सृष्टि इनकी भावनाओं, संवेदनाओं, गुस्से और हंसी से कंपायमान हो उठती है ।

गांधी जी ने पूरे देश को भावनाओं और संवेदनाओं की रौ में बहकर एकजुट होते देखा था। मार्टिन लूथर किंग ने असमानता के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका में रहने वाले अफ्रीकी अमेरिकियों को एकजुट किया था। यह उनकी लीडरशिप की बुनियाद थी। उन्होंने भी गाँधी जी की तरह मानवीय सभ्यताओं का आधार उद्देश्यों की एकजुटता को ही पाया था। वे कहते हैं।

हम सभी परस्पर एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं या कहें कि भाग्य के एक सूत्र में बंधे हुए हैं। मैं जो बनना चाहता हूं, तब तक नहीं बन सकता, जब तक कि आप वह नहीं बन जाते, जो आप बनना चाहते हैं। दूसरी तरफ आप जो बनना चाहते हैं, तब तक नहीं बन सकते, जब तक कि मैं वह नहीं बन जाता, जो मैं बनना चाहता हूं। यह वास्तविकता का परस्पर सम्बन्धित ढांचा है ।

राहुल के पास गाँधी, डॉ मार्टिन लूथर किंग की तरह मुल्क के लिए महान उद्देश्य है, दिल है, करुणा ,साहस और प्रेम है।

भावनाएं हमारी ऊर्जा को एक दिशा में सक्रिय करती हैं, जिसे सत्ताधारी राजनेताओं का व्यापारी दिमाग कतई नहीं समझ सकता, हमें पता है सारे फैसले पहले भावनाओं के स्तर पर लिये जाते हैं। जैसे कि दोस्त बनाना जीवन साथी चुनना, सहकर्मी पर विश्वास करना। ये सब भावनात्मक फैसले हैं, न कि तर्कपूर्ण।

राहुल गाँधी एक सच्चे नायक की तरह पीड़ित, शोषित लोगों के साथ सदैव खड़े रहते हैं, हो सकता है कि वह प्रशासनिक, आर्थिक रूप से सहयोग ना भी कर पाते हों, पर दुख मे शामिल होकर दिलासा, आँसू तो पोछते है।कल हाथरस में थे आज असम और मणिपुर।
मणिपुर में ‘सैकड़ों लोगों ने जान गंवाई। हजारों लोग राहत कैंपों में रह रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने आज तक मणिपुर का दौरा नही किया। जबकि मणिपुर में अशांति फैलने के बाद से यह राहुल गांधी का तीसरा दौरा है। उन्होंने शांति और प्रेम के संदेश के साथ भरोसा दिया कि हर हाल में हम आपके साथ हैं।

जब उद्देश्य महान होता है तो मार्ग कितने भी कांटे भरे हो। जीवन कितना भी अभावों भरा हो, आप हमेशा प्रेरित एवं उत्साहित रहते हैं।

वियतनाम के खिलाफ युद्ध में अमेरिकी पूरी तरह जुटे हुए थे, अपनी फौज के साथ अमेरिकी वियतनामियों से बहुत श्रेष्ठ थे, उनके पास एक- एक वियतनामी को मारने के लिए कई कई गुना असलहा-बारूद था, फिर भी अमेरिकी युद्ध हार गए, क्योंकि उनके पास युद्ध का कोई बड़ा कारण नहीं था। बीसवीं शताब्दी की सबसे अद्‌भुत घटना आदमी का चांद पर पहुंचना नहीं था, बल्कि शक्तिशाली अमेरिकी युद्धक मशीनों के खिलाफ वियतनामियों का विरोध था।
सही मायने में यह उद्देश्य’ की ‘शक्ति’ पर जीत थी ।

साभार;पिनाकी मोरे

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