पहले खूब देते है सस्ता लोन ,जब वसूली का आता है वक्त तो बताते है अपनी औकात और पीड़ितों पर करते है तरह तरह से जुल्म सितम
यही है लुटेरे कॉर्पोरेट शासन की सच्चा। ई पहले तो जनता को आंखों में धूल झोंकर सस्ते लोन के नाम पर भरपूर कर्ज दे देते हैं। और फिर तुरंत वसूली के नाम पर जबरदस्त प्रताड़ना ,ब्लैकमेलिंग का खेल शुरू हो जाता है।
उसी के डर से पूरे भारत में आत्महत्याओं का दौर तेज हो गया है । लोग चुपचाप आत्महत्या कर ले रहे हैं। महज अपनी इज्जत को बचाने के लिए। इस सुसाइड नोट को पढ़िए. आप कल्पना नहीं कर सकते, किस कदर ये दोनों वसूली गैंग के दबाव और ब्लैकमेलिंग से टूट चुके थे। असहाय थे, बेबस थे, लाचार थे दूर दूर तक जब इन्हें कोई सरकारी या सामाजिक मदद की उम्मीद नजर नहीं आई तो इन दोनों ने मौत को गले लगा लिया।
यूपी के सहारनपुर के रहने वाले सौरभ और मोना ने गंगा नदी में हजारों नपुंसकों के आंखों के सामने कूदकर जान दे दी।
सौरभ पर भारी कर्ज था. वो ब्याज चुकाते रहे, लेकिन कर्ज खत्म नहीं हुआ. मूल कर्ज से चार गुना ब्याज लौट चुके थे। फिर भी वसूली गैंग कंठ पर चढ़ा हुआ था । और आखिरकार ये हार गये।
साभार;
पिनाकी मोरे