एक नजर वनतारा की असलियतपर, क्या हर भारतीय को इसकी असलियत जानना जरूरी है?
विशेष संवाददाता
वनतारा की असलियत हर भारतीय को जाननी चाहिए।
टीवी पर मोदी जी का वनतारा में शेरों के साथ याराना चल रहा है।
साथ में तस्वीरें खिंचवाने और दूसरों को दिखाने के लिए शेरों के साथ फोटोशूट हो रहा है।
पर क्या सच में यह शेरों के प्रति प्रेम है, या सिर्फ दिखावा
सच तो ये है कि बिके हुए पत्रकारों ने वनतारा की छवि चमकाने का बीड़ा उठा लिया है।
पेड इनफ्लुएंसर इस दिखावे की बलैया ले रहे हैं।
लेकिन असली सच्चाई कुछ और है—
2020 में खबर आई कि रिलायंस जामनगर में दुनिया का सबसे बड़ा प्राइवेट चिड़ियाघर बना रहा है।
300 एकड़ में विदेशी जानवरों को बंद करने की योजना।
देशभर के सरकारी चिड़ियाघरों से जानवर निकालकर वहाँ भेजे जा रहे हैं।
नैनीताल जू के दो बाघ— शिखा और बेताल, अब अंबानी के “रेस्क्यू सेंटर” में हैं।
भोपाल के वन विहार से टाइगर पंचम को भी जामनगर भेजा गया।
मध्य प्रदेश और कई राज्यों के चिड़ियाघरों से जानवर निकाले जा चुके हैं।
अब सवाल ये उठता है—
अगर कोई आम नागरिक जंगली जानवर पाले तो उसकी गिरफ्तारी,
लेकिन अंबानी को प्राइवेट जू बनाने की छूट क्यों?
गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दायर हुई—
रिलायंस को निजी चिड़ियाघर बनाने से रोका जाए।
फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगी—
“रिलायंस को ज़ू चलाने का कोई अनुभव नहीं!”
लेकिन जजों ने कहा— “कोई दिक्कत नहीं, बनाइए!”
पहले निजी चिड़ियाघर का नाम रखा गया—
“ग्रीन जूलोजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन किंगडम” याने आज का वनतारा
मतलब?
अब अनंत अंबानी को “पशु प्रेमी” और “सीईओ” बनाकर
देश की आँखों में धूल झोंकी जाएगी।
पाब्लो एस्कोबार ने भी कोलंबिया में ऐसा ही जू बनवाया था।
परिणाम?
विदेशी जानवरों ने पारिस्थितिकी तंत्र तबाह कर दिया।
क्या हम वही गलती दोहराने जा रहे हैं? पैड मीडिया ने तो हद कर दी मोदी जी का जंगली जानवरों के साथ पशु प्रेम बताकर वो भी बार बार।
साभार
अपूर्व भारद्वाज