जब मुसलमान मारे जा रहे हैं तो हम चुप हैं लेकिन याद रखें कल बारी आपकी है ऐसे तीखे अलफ़ाज़ में किस ने और क्यों कहा ?

z1

रिपोर्टर,

देश को ब्रिटिश हुकूमत के राज से आजाद करवाने के लिए किये गए संघर्ष की बात करें तो क्रांतिकारियों के नामों का ज़िक्र न हो ऐसा हो नहीं सकता?

भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, सुखदेव, रामप्रसाद बिस्मिल और महात्मा गाँधी जैसे नामों के सामने आ जाने के बाद कई बार हम क्रांतिकारियों की दिल से रटी गई लिस्ट को पूरा हुआ मानते हैं।

लेकिन आजादी की जंग में उस मुहीम को शुरू करने वाले लोगों में से बहुत से लोगों के नाम कहीं दब कर रह जाते हैं?

ऐसा ही कुछ हुआ देश की आज़ादी के लिए ग़दर लहर शुरू करने वाले गदरी बाबाओं’ का।

आजादी से पहले पंजाब में छायी आर्थिक मंडी की वजह से वतन छोड़ अमेरिका, कनाडा और इंग्लैंड जैसे देशों का रुख करने वाले पंजाब के पक्खर सिंह और बाबा ईशर सिंह ने 1912 में वहां पहुँच अंग्रेजों द्वारा भारतीयों के साथ किया जाने वाला बर्ताव देखा।

तो खुद के देश को गुलामी की जंजीरों में जकड़ा देख बहुत दुखी हुए और अपने देश को भी आजादी दिलाने के लिए मुहीम छेड़ने की ठान ली।

साल 1913 में ग़दर पार्टी का जन्म हुआ जिसने आगे चल कर ब्रिटिश राज की जड़ें हिला दीं।

इन्हीं गाडरी बाबाओं की याद में मनाये जाने वाले मेले में हर साल देश की क्रांतिकारी आवाजों को शिरकत करने के बुलावा भेज जाता है।

इस साल मनाये गए इस कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में पहुंचे जेएनयू स्टूडेंट यूनियन के पूर्व प्रेजिडेंट कन्हैया कुमार।बेबाकी के लिए जाने जाते है।

 

SHARE THIS

RELATED ARTICLES

LEAVE COMMENT