मिशन लाइफ की संभावनाओं पर अपने विचार साझा कर रहे है बागपत के युवा लेखक अमन कुमार जो समाज कार्य विषय में स्नातक कर रहे है और नेहरू युवा केन्द्र बागपत के युवा स्वयंसेवक के रूप में सामाजिक विकास के कार्यों से जुड़े है…
नीला ग्रह यानी पृथ्वी, 8 अरब मनुष्यों का एकमात्र घर है जो हम मनुष्यों की आवश्यकता पूरी करने के लिए प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न है फिर बात एक पेंसिल मुहैया कराने की हो या हमारे लिए फर्नीचर की आवश्यकता पूर्ण करने की, प्रतिवर्ष 15 अरब वृक्ष स्वयं को न्यौछावर कर देते है। अभी हम केवल वृक्षों की बात कर रहे है। इसके अतिरिक्त अन्य प्राकृतिक संसाधनों में मिट्टी, जल, वायु आदि का निरंतर दोहन भी हम मनुष्यों द्वारा जारी है जो पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। प्राकृतिक अथवा दैवीय आपदा का नाम देकर हम स्वयं द्वारा उत्पन्न की गई समस्याओं का दोष भी प्रकृति पर लगाने का कोई मौका नहीं छोड़ते।
शायद हो सकता है आप इन विचारों से सहमत हो और बदलाव के लिए हरसंभव समाधान से जुड़ने को प्रयासरत हो लेकिन आप जागरूक न हो कि इस हरियाली से परिपूर्ण भविष्य के निर्माण में आप कैसे अपना योगदान दे सकते है। इसके लिए हमें भारत सरकार के मिशन लाइफ कार्यक्रम के विषय में जानने की आवश्यकता है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा यूएनएफसीसीसी कॉप-26 बैठक में चर्चा के दौरान विश्व के सामने पर्यावरण चुनौती के अहम समाधान के रूप में प्रस्तुत किया गया था।
मिशन लाइफ क्यों?
हम अपने रोजाना के जीवन में सैकड़ों निर्णय लेते है जैसे कि क्या खाना है, कैसे रहना है, काम पर कैसे जाना है, कैसे कपड़े पहनने है, खाली वक्त कैसे बिताना है…. ऐसे सवालों की एक लंबी सूची है जिनके निर्णय हम रोजाना लेते है। हमारे हर निर्णय से ग्रह पर गहरा असर पड़ता है। इस स्थिति में संधारणीय जीवनशैली को अपनाना, एक बहुत बड़ी संभावित आपदा से मानवता को बचा सकता है। भारतीय संस्कृति में संधारणीय जीवन शैली गहराई से जुड़े होने के कारण भारत ने संधारणीय जीवन शैली को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभाते हुए पर्यावरण के लिए जीवनशाली यानी लाइफस्टाइल फॉर एन्वायरमेंट के अंतर्गत मिशन लाइफ की शुरुआत की।
मिशन लाइफ का उद्देश्य दुनियाभर के लापरवाह उपभोक्ता में जागरूकता और कर्तव्य की भावना का संचार कर उनका जिम्मेदार नागरिक में रूपांतरण करना है। मिशन लाइफ की अवधारणा में व्यक्तियों और संस्थानों सहित वैश्विक समुदाय से आह्वान किया गया है कि वे LiFE को एक अंतर्राष्ट्रीय जन आंदोलन के रूप में आगे बढ़ाएं। यह पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे को लेकर वैश्विक शक्तियों का एक साथ मिलकर कार्य करने का समय है क्योंकि पर्यावरण किसी समुदाय विशेष मात्र से संबंधित न होकर सभी को प्रभावित करता है। यह पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण के लिए ‘अविवेकपूर्ण और विनाशकारी उपभोग के बजाय समझदारी के साथ तथा विवेकपूर्ण उपयोग’ पर केंद्रित एक दृष्टिकोण है।
मिशन लाइफ के अंतर्गत विभिन्न एक्शन सुझाकर प्रत्येक व्यक्ति और समुदाय का कर्तव्य निर्धारित कर उनको पर्यावरण संरक्षण में प्रत्यक्ष भागीदार बनने और प्रो प्लैनेट पीपल के रूप में पहचान स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। निश्चित ही P3 समुदाय के माध्यम से एक ऐसे समुदाय का निर्माण होगा जो पर्यावरण के अनुकूल व्यवहारों को बनाने रखने में मजबूती और समर्थन प्रदान करेगा।
भारत में आदर्श जीवनशैली में प्राचीन मूल दर्शन ‘प्रकृतिः रक्षति रक्षिता’ को बढ़ावा देते हुए लोग तेजी से अभियान का हिस्सा बनकर अपनी आदतों, व्यवहार और कार्यों में त्वरित बदलाव ला रहे है।
संसाधनों के समझदार तथा विवेकपूर्ण उपयोग की अवधारणा के तहत निम्नलिखित को बढ़ावा दिया जा रहा है:
- जिम्मेदारीपूर्वक उपभोगः जितनी आवश्यकता हो उतना ही उपभोग करना और उत्पादों का उपयोग उनके जीवन चक्र के अंत तक करना।
- प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाते हुए रहना: ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ (पूरा विश्व एक परिवार है) के दर्शन का पालन करके और सभी जीवों के प्रति दया भाव रखते हुए जीवन व्यतीत करना।
- संसाधनों का संधारणीय प्रबंधन: अत्यधिक उपभोग वाली जीवन शैली से दूरी बनाना और संसाधनों की न्यायसंगत उपलब्धता को बढ़ावा देना।
- सह-अस्तित्व और सहयोग: विज्ञान और नवाचार को बढ़ावा देने, ज्ञान के आदान-प्रदान, सर्वोत्तम पद्धतियों के प्रसार तथा पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों का संरक्षण कर देशों एवं समुदायों के बीच सह-अस्तित्व और सहयोग को बढ़ावा देना।
- वैश्विक स्तर पर विचारों और शोध पत्रों को बढ़ावा देना: इसके तहत विश्व के प्रमुख विज्ञानियों से उनके विचार और शोध प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं जाएंगे कि कैसे व्यक्तियों समुदायों तथा संस्थानों द्वारा सार्थक एवं जिम्मेदारी पूर्ण तरीके से पर्यावरण के अनुकूल कार्यों को अपनाया जा सकता है।
- LiFE से संबंधित, वैश्विक रूप से सर्वश्रेष्ठ और पारंपरिक पद्धतियों का संग्रह: यूनाइटेड नेशन इंडिया के साथ साझेदारी कर नीति आयोग और MoEF&CC, विश्व भर से पारंपरिक और वर्तमान सर्वोत्तम पद्धतियों का एक व्यापक भंडार या कोष तैयार करेंगे। यह व्यक्तियों और समुदायों द्वारा पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली को अपनाने में सहायता प्रदान करेगा।
- अन्य देशों के साथ साझेदारी: नीति आयोग के सहयोग से MoEF&CC और विदेश मंत्रालय अन्य देशों के साथ साझेदारी में काम करेंगे। इसके तहत ये मिशन LiFE को लागू करने के लिए दुनिया भर के देशों की क्षमता की पहचान करने एवं क्षमता का निर्माण करने से संबंधित निरंतर प्रयासों में समन्वय के साथ कार्य करेंगे।
- प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय LiFE दिवसः संधारणीय जीवन शैली के प्रभाव को प्रदर्शित करके मिशन LiFE, अंतर्राष्ट्रीय LiFE दिवस को अपनाने के लिए वैश्विक समुदाय को संगठित करने का प्रयास करेगा।
हमारी दिनचर्या से पर्यावरण को हो रही हानि का आकलन करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न:
- भोजन: हम क्या खाते पीते है – यह कैसे उत्पादित एवं प्रसंस्कृत किया जाता है और हमें कैसे उपलब्ध कराया जाता है तथा हम इसका निपटान कैसे करते है?
- आवास: हम कैसे रहते है, हम कहां रहते है, हमारे रहने की जगह को बनाने, उसे गर्म और ठंडा रखने के लिए किन चीजों का उपयोग किया जाता है तथा हम अपने घरों में क्या क्या इंस्टॉल करते है?
- आवागमन: हम परिवहन के किस साधन का चयन करते है, हम कितनी बार यात्रा करते है, कितनी दूरी तय करते है तथा किन सहायक प्रणालियों एवं अवसंरचना का उपयोग करते है?
- उपभोक्ता वस्तुएं: हम जो उत्पाद खरीदते है, उनके उत्पादन में किस सामग्री और कितनी सामग्री का उपयोग किया जाता है, हम उनका उपयोग कैसे करते है और कितनी बार हम उन्हे बदलते है?
- फुर्सत के क्षण: हम फुर्सत के क्षण को कैसे व्यतीत करते है, हम किन पर्यटन स्थलों और किन गतिविधियों का चयन करते है, किन सुविधाओं का उपयोग करते है?
प्रथ्वी के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए हम अपनी दिनचर्या में कौन से महत्वपूर्ण बदलाव कर सकते है?
- चक्रीय जीवनशैली: चीजों की साझेदारी, पुनरुपयोग, मरम्मत, नवीनीकरण, पुनर्चक्रित करना आदि। इसके माध्यम से अपशिष्ट की मात्रा कम करने के साथ साथ चक्रीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलता है।
- न्यूनतम में निर्वहन: न्यूनतम संसाधनों में जीवन जीना और अविवेकपूर्ण उपभोग पर अंकुश लगाना। इसके माध्यम से समय और धन की बचत के साथ ही चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देते हुए पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दे सकते है।
- शून्य अपशिष्ट दिनचर्या: इसका उद्देश्य दैनिक आधार पर उत्पन्न अपशिष्ट की मात्रा को विभिन्न पहल के माध्यम से कम करना है। रिफ्यूज, रिड्यूस, रियूज, रिसाइकल, रॉट की आदत अपनाकर सहभागी बन सकते है।
- विवेकपूर्ण उपभोग: इसके अंतर्गत स्वयं, समाज और प्रकृति के साथ समन्वय में प्रत्येक क्रियाकलाप पर पुनर्विचार कर उतरदायी पूर्ण उपभोग कर सकते है। रिड्यूस, रिकॉन्साइडर, रियूज, रिपेयर, रिसाइकल, रिइमेजिन आदि महत्वपूर्ण है।
नीति आयोग द्वारा सुझाए गए 75 एक्शन के सुझावों की सूची जो हम अपनी दिनचर्या में अपनाकर पर्यावरण संरक्षण में प्रत्यक्ष भागीदार बन सकते है:
ऊर्जा संरक्षण:
- एलईडी बल्ब/ट्यूब लाइट का प्रयोग करें
- जहां भी संभव हो सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करें
- जहां भी संभव हो लिफ्ट के बजाय सीढ़ियां लें
- लाल बत्ती और रेलवे क्रॉसिंग पर वाहन के इंजन बंद कर दें
- स्थानीय या छोटे आवागमन के लिए साइकिल का प्रयोग करें
- उपयोग के बाद सिंचाई पंपों को बंद कर दें
- पेट्रोल/डीजल वाहनों की तुलना में सीएनजी/इलेक्ट्रिक वाहनों को प्राथमिकता दें
- मित्रों और सहकर्मियों के साथ कारपूलिंग का उपयोग करें
- सही गियर में ड्राइव करें। गियर न बदलते समय अपने पैर को क्लच से दूर रखें
- छतों पर सोलर वाटर या सोलर कुकर हीटर लगाएं
- उपयोग में न होने पर उपकरणों को प्लग पॉइंट से बंद कर दें
- खाना पकाने और बिजली की जरूरतों के लिए बायोगैस का उपयोग करें
- एयर कंडीशनर का तापमान 24 डिग्री पर रखें
- अन्य कुकवेयर की तुलना में प्रेशर कुकर को प्राथमिकता दें
- अपने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को ऊर्जा-बचत मोड में रखें
- अक्सर इस्तेमाल होने वाले उपकरणों के लिए स्मार्ट स्विच का इस्तेमाल करें
- पानी ठंडा करने के लिए सामुदायिक मिट्टी के घड़े स्थापित करें
- फ्रिज या फ्रीजर को नियमित रूप से डीफ्रॉस्ट करें
- ट्रेडमिल पर दौड़ने के बजाय बाहर दौड़ें
जल संरक्षण:
- बाजरा जैसी कम पानी वाली फसलों की खेती को अपनाएं
- अमृत सरोवर योजना के माध्यम से ग्रामीण जल निकायों के पुनर्भरण में भाग लें
- फसल विविधीकरण का अभ्यास करें, चावल और गेहूं की खेती से दलहन और तिलहन की खेती की ओर बढ़ें
- कुशल जल बचत तकनीकों का उपयोग करें (जैसे सूक्ष्म सिंचाई, बडिंग, खेत तालाब, शून्य जुताई, चावल की सीधी बुवाई और अन्य)
- घर/स्कूल/कार्यालयों में वर्षा जल संचयन के बुनियादी ढांचे का निर्माण करें
- अपशिष्ट पदार्थों से निर्मित ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग करें
- जहाँ भी संभव हो धुली हुई सब्जियों के पानी का पौधों में पुन: उपयोग करें
- भारी बर्तनों को धोने से पहले भिगो दें
- हर बार जब नलों में ताजा पानी आ रहा हो तो अप्रयुक्त भंडारित पानी को फेंके नहीं
- पौधों/फर्शों/वाहनों में पानी देने के लिए नली के पाइपों के बजाय बाल्टियों का उपयोग करें
- फ्लश, नल और वाटरपाइप में लीकेज को ठीक करें
- नल, और शावरहेड्स, और टॉयलेट फ्लश इकाइयों के लिए जल-कुशल जुड़नार का उपयोग करें
- नियमित रूप से पानी की खपत मापने के लिए अपने घर के लिए पानी के मीटर में निवेश करें
- एसी/आरओ से निकले पानी को बर्तन साफ करने, पौधों को पानी देने और अन्य कामों में दोबारा इस्तेमाल करें
- एक जल शोधन प्रणाली को प्राथमिकता दें जो कम पानी बर्बाद करे
एकल प्रयोग प्लास्टिक छोड़े:
- शॉपिंग के लिए प्लास्टिक बैग की जगह कपड़े के बैग का इस्तेमाल करें
- जहाँ भी संभव हो अपनी पानी की बोतल साथ ले जाएँ
- भंडारण बक्से के रूप में कांच व प्लास्टिक के कंटेनर / पैकेजिंग की वस्तुओं का पुन: उपयोग करें
- शहरों और जल निकायों के सफाई अभियान में भाग लें
- सभाओं और कार्यक्रमों के दौरान गैर-प्लास्टिक व पर्यावरण के अनुकूल कटलरी का उपयोग करना पसंद करें
- सक्रिय उपयोग में न होने पर चालू नल बंद कर दें
- सैनिटरी नैपकिन की जगह मेंस्ट्रुअल कप का इस्तेमाल करें
- जहां भी संभव हो, शुद्ध प्लास्टिक के स्थान पर पुनर्चक्रित प्लास्टिक का उपयोग करें
- स्टील अथवा पुनर्चक्रित प्लास्टिक के लंच बॉक्स और पानी की बोतलों का इस्तेमाल करें।
- दूध, छाछ आदि के लिए उपयोग किए जाने वाले पैकेजिंग बैग को केवल आंशिक रूप से काटे
- बांस के टूथब्रश और नीम की कंघी का चुनाव करें
सतत खाद्य प्रणाली को अपनाना:
- आंगनबाड़ी, मध्याह्न भोजन और पीडी योजना के माध्यम से आहार में मिलेटस यानी मोटे अनाज को शामिल करें
- घर में खाने के कचरे को कम्पोस्ट करें
- घरों/स्कूलों/कार्यालयों में किचन गार्डन/ टैरेस गार्डन बनाएं
- गाय के गोबर से जैविक खाद तैयार करें और खेतों में इस्तेमाल करें
- स्थानीय रूप से उपलब्ध और मौसमी खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता दें
- भोजन की बर्बादी को बचाने के लिए दैनिक भोजन के लिए छोटी प्लेटों का उपयोग करें
अपशिष्ट में कमी (स्वच्छता क्रियाएं):
- बायोगैस प्लांट में पशु अपशिष्ट, भोजन अपशिष्ट और कृषि अपशिष्ट का दान करें
- घरों में सूखे और गीले कचरे को अलग-अलग करने की आदत डालें
- कंपोस्टिंग, खाद और मल्चिंग के लिए कृषि अवशेष, पशु अपशिष्ट का प्रयोग करें
- पुराने समाचार पत्रों, पत्रिकाओं को रीसायकल और पुन: उपयोग करें
- बची हुई और बिना पकी सब्जियां मवेशियों को खिलाएं
- प्रिंटर को डिफ़ॉल्ट रूप से डबल-साइड प्रिंटिंग पर सेट करें
- पुराने फर्नीचर की मरम्मत, पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण करें
- पुनर्नवीनीकरण कागज से बने कागज उत्पाद खरीदें
- पुराने कपड़े और किताबें दान करें
- जल निकायों और सार्वजनिक स्थानों पर कचरे को न फेंके
- सार्वजनिक स्थानों पर पालतू जानवरों को शौच न करने दें
स्वस्थ जीवन शैली:
- भोजन में बाजरा और पोषण के लिए देशी जड़ी बूटियों और औषधीय पौधों के उपयोग को प्रोत्साहित करें
- प्राकृतिक या जैविक उत्पादों का सेवन करना पसंद करें
- सामुदायिक स्तर पर जैव विविधता संरक्षण प्रारंभ करें
- घरेलू परिसर के भीतर नीम, तुलसी, गिलोय, पुदीना, करीपत्ता, अश्वगंधा जैसे औषधीय पौधे लगाएं
- प्राकृतिक या जैविक खेती करें
- प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए पेड़ लगाएं
- जंगली जानवरों की खाल, हाथी और फर से बने उत्पादों/स्मृति चिह्नों को खरीदने से बचें
- सामुदायिक भोजन और कपड़ा बैंकों और पशु आश्रयों में स्वयंसेवा करे
- अपने आवासीय क्षेत्र/स्कूल/कार्यालय में ग्रीन क्लब शुरू करें और/या उसमें शामिल हों
ई-वेस्ट कम करे:
- इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को हटाने की बजाय उनकी मरम्मत करें और उनका उपयोग करें
- निकटतम ई-रीसाइक्लिंग इकाइयों में गैजेट्स को त्यागें
- रिचार्जेबल लिथियम सेल का उपयोग करें
- पेन ड्राइव और हार्ड ड्राइव के बजाय क्लाउड स्टोरेज को प्राथमिकता दें
लेखक के बारे में:
20 वर्षीय युवा अमन कुमार वर्तमान में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय से समाज कार्य में स्नातक की शिक्षा ग्रहण कर रहे है। नेहरू युवा केंद्र बागपत से संबद्ध ग्रामीण युवाओं की संस्था उड़ान युवा मंडल ट्यौढी की अध्यक्षता करते हुए अमन कुमार द्वारा विभिन्न कीर्तिमान स्थापित किए गए जिसमें 18 माह में प्रोजेक्ट कॉन्टेस्ट 360 के अंतर्गत 7 मिलियन लोगों तक शैक्षिक अवसरों की जानकारी पहुंचाना उल्लेखनीय है।