CM डाक्टर मोहन यादव की सरकार भ्रष्टाचार रोकने में फैल

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सरकार में घोटालों पर नहीं अंकुश जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्या. छतरपुर 100 करोड़ के घाटे में: अध्यक्ष करूणेन्द्र प्रताप सिंह एवं महाप्रबंधक आरएस भदौरिया के द्वारा जबरदस्त भ्रष्टाचार.

जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्या. छतरपुर के अध्यक्ष करूणेन्द्र प्रताप सिंह और महाप्रबंधक आरएस भदौरिया द्वारा प्रबंधकों की नियुक्तियां व पद स्थापना में भारी लेन देन, लोकायुक्त में पहुंची शिकायत होगी एफआईआर

संवाददाता
पंकज पाराशर छतरपुर

मध्य प्रदेश के कोऑपरेटिव बैंकों में जबरदस्त भ्रष्टाचार हो रहा है । मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा भ्रष्टाचार पर कोई अंकुश नहीं है । छतरपुर सहित प्रदेश के 11 जिला सहकारी बैंक लंबे समय से घाटे में चल रहे हैं, जिससे इन बैंकों को बंद करने की नौबत आ गई है।

छतरपुर का जिला सहकारी बैंक लगभग 100 करोड़ रुपए के घाटे में है। आर्थिक संकट के कारण, राज्य के विभिन्न अन्य जिलों सागर, रीवा, सतना, ग्वालियर, भिंड, मुरैना, गुना, दतिया, शिवपुरी और जबलपुर के सहकारी बैंकों की स्थिति भी खराब है, और इन्हें बंद करने पर विचार किया जा रहा है।

सहकारी समितियों में बड़े बड़े घोटालों पर अंकुश नहीं लग पाने से जिला सहकारी बैंक दिवालिया हो रहे हैं। छतरपुर का जिला सहकारी बैंक 100 करोड़ रुपए के घाटे में चल रहा है। सहायक प्रबंधक और प्रबंधकों की नियुक्तियां व पद स्थापना में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्या. छतरपुर के अध्यक्ष करूणेन्द्र प्रताप सिंह एवं महाप्रबंधक आरएस भदौरिया ने भारी लेनदेन किया। इसकी शिकायत लोकायुक्त में की गई। अब अध्यक्ष करूणेन्द्र प्रताप सिंह एवं महाप्रबंधक आरएस भदोरिया पर एफआईआर दर्ज होगी ।

ये हैं छतरपुर जिले के बड़े सहकारी घोटाले

सेवा सहकारी समिति सेंधपा में खाद, क्रेडिट कार्ड और ऋण माफी के नाम पर लाखों रुपए का घोटाला हुआ। इस घोटाले की जांच लोकायुक्त भोपाल में की गई। लोकायुक्त एसपी ने मामले की जांच संयुक्त पंजीयक सहकारिता से कराई। जांच में सिद्ध हो गया कि समिति प्रबंधक ने 74 लाख 86 हजार 460 रुपए का घोटाला किया है। इसके अलावा सहकारी बैंक ईशानगर शाखा में किसान ऋण माफी योजना के नाम पर 3 करोड़ 74 लाख 85 हजार रुपए फर्जी तरीके से निकालने का मामला सामने आया है. इस घोटाले में बैंक मैनेजर की शिकायत पर तत्कालीन बैंक मैनेजर समेत 8 लोगों पर मामला दर्ज हुआ है। ऐसे ही भोपाल की जांच में डिकौली सोसायटी प्रबंधक पर एक करोड़, सेंधपा सोसायटी के जाहर सिंह पर एक करोड़ का घोटाला किए जाने की बात सामने आई थी। वहीं बीरो समिति प्रबंधक भानू प्रताप अवस्थी द्वारा साढ़े 5 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया था। बकस्वाहा में 18 कृषक सदस्यों की 24 लाख 55 हजार की राशि ऋण वितरण की कार्रवाई की गई। इनमें 11 सदस्य भूमिहीन एवं 7 सदस्य के पास बहुत ही अल्प रकबा होते हुए साजिश कर ऋण स्वीकृत करने का घोटाला सामने आने पर एफआईआर और आरोपी मैनेजर समेत कर्मचारियों की गिरफ्तारी हुई है। बकस्वाहा में ही सहकारी बैंक के अधिकारियों ने कूटरचित दस्तावेज तैयार कर और फर्जी खाते खोल कर पदनाम की सील बनाकर 97 लाख 92 हजार रुपए की राशि का गबन किया गया। इसी बकस्वाहा में फर्जी खाते खोले जाने के अलावा बकस्वाहा सहकारी बैंक में दुग्ध समिति के नाम पर 15 लाख रुपए का लोन निकाले जाने का घोटाला भी सामने आया था।

सबसे ज्यादा घाटा सीधी के बैंक में

नाबार्ड मुख्यालय मुंबई ने प्रदेश के मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कहा है कि जिला सहकारी केंद्रीय बैंक सीधी की आर्थिक हालत चिंताजनक है। वित्तीय स्थिति में सुधार के उपाय शुरू नहीं होते तो भारतीय रिजर्व बैंक को लाइसेंस रद्द करने की सिफारिश की जा सकती है। पत्र की जानकारी वित्त विभाग ने एसीएस सहकारिता विभाग को दी है। नाबार्ड ने वित्त विभाग को भेज पत्र में लिखा है कि जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित सीधी 546.96 रुपए करोड़ के घाटे में है। वहीं, शिवपुरी बैंक में 2 साल पहले 100 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ था। यहां पर पदस्थ एक चपरासी ने कैशियर की भूमिका निभाते हुए 100 करोड़ रुपए के घोटाले को अंजाम दिया। इस घोटाले की अभी जांच चल रही है और कुछ लोगों की गिरफ्तारी हुई है।

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