निवाड़ा के युवाओं के संकल्प से गांव की बदल रही तस्वीर

निवाड़ा के युवाओं का जुनून: सिर्फ सफाई नहीं, एक नई सुबह की शुरुआत

निवाड़ा, 4 मार्च – कोई कहता है कि बदलाव मुश्किल है, कोई मानता है कि अकेले कुछ नहीं किया जा सकता। लेकिन निवाड़ा के इन युवाओं ने यह साबित कर दिया कि जब इरादे मजबूत हों और दिल में समाज के लिए कुछ करने का जज्बा हो, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती।

गांव में चारों तरफ गंदगी के ढेर लगे थे, रास्ते संकरे हो चुके थे, और लोग बस इंतजार कर रहे थे कि कोई आए और सफाई कर दे। लेकिन इस बार किसी ने इंतजार नहीं किया—इस बार गांव के युवाओं ने खुद झाड़ू उठाई, कंधों पर जिम्मेदारी ली और बिना किसी सरकारी मदद के “स्वच्छ निवाड़ा, सुंदर निवाड़ा” का सपना लेकर मैदान में उतर गए।

जब युवा आगे बढ़े, तो सफाई एक आंदोलन बन गई

रमज़ान के पाक महीने को देखते हुए युवक मंगल दल निवाड़ा के अध्यक्ष इनाम उल हसन और सचिव चौधरी ताहिर के नेतृत्व में युवाओं ने एक नई शुरुआत की। उन्होंने न केवल सफाई का अभियान छेड़ा, बल्कि इसके लिए अपनी मेहनत की कमाई से धन भी एकत्रित किया। उनके साथ खड़े थे मोहसिन, फिरोज, शामी चौहान, राकेश, अमन, अफरीदी, परवेज चौधरी, सारिक, शोएब हैदर, सनव्वर और डॉ. यामीन जैसे सैकड़ों युवा, जिनका सिर्फ एक ही मकसद था – “हम अपने गांव को बदलेंगे, अपनी सोच को बदलेंगे, और लोगों की आदतें बदलेंगे!”

गंदगी से नहीं, सोच से लड़ाई

यह केवल सफाई तक सीमित नहीं था। यह उन मानसिकताओं से भी लड़ाई थी, जो गंदगी को आम बात मानकर उसे अनदेखा कर देती हैं। ये युवा न केवल सफाई कर रहे थे, बल्कि हर दरवाजे पर जाकर लोगों को समझा रहे थे कि स्वच्छता सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का फर्ज है।

जब मोहसिन एक बुजुर्ग महिला के घर गए और उनसे पूछा, “अम्मा, क्या आपको अच्छा लगेगा अगर आपका घर और गांव हमेशा साफ-सुथरा रहे?” तो उनकी झुर्रियों से भरा चेहरा खिल उठा। उन्होंने कहा, “बेटा, मैंने कभी नहीं सोचा था कि हमारे गांव के बच्चे इतना बड़ा काम करेंगे।”

युवा शक्ति का संदेश: बदलाव हमसे शुरू होता है

युवक मंगल दल के सचिव चौधरी ताहिर ने भावुक होकर कहा, “हम सिर्फ सफाई नहीं कर रहे, हम लोगों की सोच को साफ कर रहे हैं। यह आंदोलन सिर्फ कुछ दिनों का नहीं, बल्कि एक नई सोच की शुरुआत है।”

अध्यक्ष इनाम उल हसन ने उम्मीद जताई, “हम चाहते हैं कि यह बदलाव स्थायी हो। अगर हम हर घर में यह आदत डाल सकें कि सफाई हमारी जिम्मेदारी है, तो यही हमारी सबसे बड़ी जीत होगी।”

यह सिर्फ सफाई नहीं, आत्मसम्मान की लड़ाई है

निवाड़ा के इन युवाओं ने यह दिखा दिया कि बदलाव लाने के लिए किसी पद या पैसे की जरूरत नहीं होती। जरूरत होती है एक सच्चे इरादे, समर्पण और हिम्मत की।

अब सवाल यह है – क्या यह सिर्फ निवाड़ा की कहानी है, या हम सबकी? क्या हम भी अपने आसपास की सफाई और जागरूकता की जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार हैं?

क्योंकि बदलाव कहीं बाहर से नहीं आएगा, वह हमारे अंदर से ही शुरू होगा!

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