बिनौली के युवा बने डिजिटल क्रांति के स्वयंसेवी योद्धा
बिनौली, 04 मार्च 2025 – “समाज तब बदलता है जब लोग अपने हक से पहले अपनी जिम्मेदारी को समझते हैं।” यही भावना लेकर टीएससी यूथ क्लब, बिनौली के युवाओं ने डिजिटल कृषि मिशन को सफल बनाने के लिए अपनी स्वैच्छिक भागीदारी सुनिश्चित की है। इन युवाओं ने केवल समस्या की ओर उंगली उठाने के बजाय, समाधान का हिस्सा बनने का निर्णय लिया और अपने गांव के किसानों को डिजिटल पहचान दिलाने के लिए निःस्वार्थ सेवा में जुट गए हैं।
“हमारे किसान, हमारी जिम्मेदारी”
जब शहरों में डिजिटल सेवाएं आम हो रही हैं, तब गांवों में कई किसान अपनी पहचान और सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हैं। इसे बदलने के लिए टीएससी यूथ क्लब के सदस्यों ने माय भारत पोर्टल पर स्वयं को पंजीकृत कर किसानों की फार्मर रजिस्ट्री करने का बीड़ा उठाया।
“स्वयंसेवा से सामुदायिक परिवर्तन”
इस पहल में सलमान, नीरज, सोनू, उस्मान, आकिब, साकीब, आफताब, सोइन, पुष्पेंद्र समेत कई युवा शामिल हैं, जो स्वैच्छिक रूप से बिना किसी लाभ की अपेक्षा किए, किसानों के लिए डिजिटल सहायता प्रदान कर रहे हैं। इनका मानना है कि “अगर हम अपने समुदाय की बेहतरी के लिए नहीं खड़े होंगे, तो कौन खड़ा होगा?”
“तकनीक अब सिर्फ शहरों तक सीमित नहीं रहेगी”
युवाओं को फार्मर सहायक ऐप का प्रशिक्षण दिया गया है, जिससे वे गांव-गांव जाकर किसानों की जानकारी एकत्र कर उन्हें डिजिटल भारत से जोड़ रहे हैं। इस प्रक्रिया से किसानों को न केवल सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा, बल्कि वे डिजिटल तकनीकों के प्रति भी जागरूक होंगे।
“बदलाव का नेतृत्व युवा करते हैं”
इस अभियान के तहत अगले 15 दिनों तक युवा डोर-टू-डोर जाकर किसानों को इस योजना से जोड़ेंगे। यह एक सरकारी योजना नहीं बल्कि युवाओं द्वारा अपने समाज को सशक्त करने की व्यक्तिगत और सामूहिक जिम्मेदारी का प्रतीक है।
“जब युवा आगे बढ़ते हैं, तो पूरा समाज तरक्की करता है”
बिनौली के इन युवाओं ने यह साबित कर दिया कि बदलाव केवल सरकारी प्रयासों से नहीं, बल्कि सामूहिक जिम्मेदारी से आता है। जब समाज के हर नागरिक को यह एहसास होगा कि वे खुद अपने गांव और देश की उन्नति में भागीदार बन सकते हैं, तब असली परिवर्तन होगा।