JNU की हालत खस्ता, यही वजह है कि उसे मजबूरन उसकी अरबो कीमत की प्रोपर्टी बेचना ही मजबूरी है

विशेष संवाददाता एवं ब्यूरो

JNU के पास पैसे नहीं हैं..JNU को मजबूरन ख़ुद की अरबों की क़ीमत की प्रॉपर्टी बेचना ज़रूरी है।(सॉर्स : इंडियन एक्सप्रेस)
तो ये था खेल? टुकड़े टुकड़े, देशद्रोही बोलने के पीछे यह मंसूबा था। हिंदुस्तान की नंबर 1 यूनिवर्सिटी की ज़मीन पर 2014 से गिद्धों ने नज़र गड़ा रखी थी।

JNU को कौन कौन सी ज़मीन बेचनी है? बस पढ़ते रहिए!
गोमती गेस्ट हाउस
35, फ़िरोज़ शाह रोड की ज़मीन
इस के ‘अलावा JNU केंद्र को JNU कैंपस के अंदर 12 इंस्टिट्यूट खोलने की इजाज़त देगा ताकि “भाड़े की कमाई” हो सके।
या’नि JNU के “मूल चरित्र” पर क़ब्ज़ा कर JNU को निगलने की साज़िश।

JNU की प्रॉपर्टी कौन ख़रीदेगा?

बताया गया है कि गोमती गेस्ट हाउस को “प्राइवेट लोगों” को भाड़े पर दिया जाएगा..समझे कौन होंगे प्राइवेट लोग?
35 फ़िरोज़ शाह वाली प्रॉपर्टी पर “प्राइवेट बिल्डर” “मल्टी स्टोरीड बिल्डिंग”बनाएगा..बिल्डर का नाम बताने की ज़रूरत है?
JNU को बिजली का भी ख़र्च घटाना है..तो JNU में “सोलर पैनल” लगेंगे।

सोलर पैनल कौन बनाता है? A1..

ये चुनावों के पहले JNU को भड़काने की साज़िश है..JNU के छात्र मैदान में आते ही माहौल बनेगा..और छात्र 1 सेंटीमीटर ज़मीन बिकने नहीं देंगे।

मैं लगातार लिख रहा हूँ कि A1, A2 ने जितना पैसा लगाया है वो पैसा ज़मीन बग़ैर वुसूल मुमकिन नहीं है।A1, A2 का काफ़ी दबाव है।
इसी लिए कभी वक़्फ़, कभी धारावी प्रॉजेक्ट, कभी रेल/फ़ौज की ज़मीन और अब JNU की ज़मीन।

बताते चलें कि भारत की सेंट्रल यूनिवर्सिटीज के पास अकूत ज़मीन है।हर यूनिवर्सिटी में पैसा बंद किया जाएगा और ज़मीन बेची जाएगी। यूनिवर्सिटीज की ज़मीन बेचने वाला ग़द्दार और चोर होता है।विश्वगुरू, माई फूट।

साभार;
कृष्ण अय्यर पिनाकी मोरे, सज्जाद अली नयानी

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