आप सलल्लाह हो अलैहे वो सल्लम के जैसा कोई नहीं है, अल्लाह के नबी और रसूल रहते हुए भी अपने फैमिली की पूरी जिम्मेदारियां निभाते, बीवियों के साथ घरेलू कामों में हाथ बटा ते
संवाददाता
खुर्शीद अहमद
हज़रत मोहम्मद सललाहो अलैहे वसल्लम अल्लाह के नबी व रसूल थे यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी जब आप को जिम्मेदारी मिली आप को बुखार आ गया कांपने लगे आप की बीवी हज़रत खदीजा ने कम्बल उड़ाया था , इस जिम्मेदारी का एहसास उम्र भर रहा कुरान ने बाद में आप की हालत व कैफियत बताते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि लोगों के ईमान न लाने की फ़िक्र में आप अपनी जान पर खेल जाएंगे ।
जो लोग ईमान ला रहे थे उन पर ज़ुल्म व अत्याचार हो रहे थे उनका सामाजिक व आर्थिक बायकॉट किया जा रहा था ऐसे में साथियों को बचाना उनका ख्याल रखना उन्हें समाजिक व आर्थिक संरक्षण देना यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी आप पर थी जिस पर लगातार लगे रहते थे।
मदीना हिजरत करने के बाद सुकून से न रहने दिया गया लगातार मदीना पर आक्रमण होते थे उन आक्रमणकारियों का मुकाबला करना उसकी तैयारी करना यह बहुत बड़ा काम था जिसे आप को करना पड़ता था हर छह से सात महीने में किसी सेना का मुकाबला करना पड़ा।
मदीना जो एक छोटी रियासत थी वह देखते देखते एक विशाल हुकुमत में बदल गई वह अपने क्षेत्रफल में आज के भारत से कुछ ही कम थी इतने बड़े शासन को संभालना सब की आकांक्षाओं व जरूरतों को पूरी करना दूर दूर से आए हुए नागरिकों और उनके प्रतिनिधियों से मिलना बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी।
इन चार बड़ी जिम्मेदारियों को बखूबी संभालना आसान नहीं है। अच्छे अच्छे लोगों की हालत खराब हो जाती इंसान हर तरह के दबाव में रहता उस के अंदर चिड़चिड़ापन आ जाता वह सार्वजनिक जिम्मेदारियों के बोझ तले घरेलू जिम्मेदारियों को भूल जाता
पर नहीं हमारे नबी सललाहो अलैहे वसल्लम उसे भी नहीं भूले कहते थे कि तुम में सबसे अच्छा वह है जो अपनी फैमिली के साथ अच्छा हो और मैं अपनी फैमिली के साथ तुम सब में अच्छा हूं।
फैमिली की पूरी जिम्मेदारी निभाते , पत्नियों के साथ घरेलू कामों में उनका हाथ बंटाते आटा गूंथ दिया कपड़े में बटन लगा दिया।
वह एक बेहतरीन पति , बहुत ही अच्छे बाप , केयर करने वाले ससुर, प्यार करने वाले नाना, मदद करने को आतुर पड़ोसी थे , रास्ते में खेलते हुए बच्चों को खुद सलाम करते , छोटे बच्चों के साथ हंसी मज़ाक करते , सुबह फजर नमाज़ बाद मस्जिद में बैठते साथियों पर जो कुछ गुजरी उसे सुनते ।
न हैसियत का घमंड , न रसूल होने पर तफाखुर का एहसास ,न शासक होने का रौब , एक आम आदमी आया अपनी जरूरतों को बयान करते हुए डर से कांपने लगा आप ने कहा डरो नहीं मैं वही मोहम्मद हूं जो कुरैश की बकरियां चराया करता था
एक देहाती आया और मस्जिद में पेशाब करने लगा , लोग उसे रोकने और मारने को दौड़े , आप ने लोगों को रोक दिया और कहा पेशाब कर लेने दो , लोगों के शोर से वह घबरा गया आप ने उसे बुलाया और कहा कि मस्जिद पेशाब करने के लिए नहीं बनी है जाओ दोबारा न करना , वह देहाती घबराया हुआ था लेकिन जब इतनी आसानी से छूट पाते हुए देखा तो दुआ करने लगा कि ऐ अल्लाह ! तू सिर्फ मोहम्मद और मुझ पर रहम कर बाकी दुनिया के किसी आदमी पर रहम न कर आप दुआ सुन कर मुस्कराने लगे और कहा तुम ने अल्लाह की रहमत को तंग कर दिया
अल्लाह के रसूल सलललाहो अलैहे वसल्लम को जितना पढ़िए उतना ही फख्र होता है कि हम आपके उम्मती हैं।
इसमें तस्वीर गूगल से ली गई है। जो असल नही हो सकती क्योंकि वो नूर है।