आप सिर्फ महान कलाकार ही नही बल्कि एक महान इंसान भी थे, आप जैसा दुनिया में कोई नही अलविदा साहब !

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रिपोर्टर:- 

अमेरिका में एक्टर मार्लन ब्रैंडो ने ब्लैक सिविल राइट्स मूवमेंट का समर्थन किया था।

उनके समर्थन के बाद कई कलाकार खुलकर सिविल राइट्स के समर्थन में आगे आ गए।
1963 में मार्टिन लूथर किंग की सभा में, उनके मंच के बगल में मार्लन ब्रैंडो ने सीट आरक्षित की थी।
इसी सभा में मार्टिन लूथर किंग ने यादगार भाषण “आयी हैवे ए ड्रीम” दिया था।

भारत कभी कोई कलाकार जातिवाद के मुद्दे पर कभी नही बोलता।
गरीबी, महिला अधिकार और बाल कल्याण के मुद्दे पर बोलेंगे लेकिन सामाजिक न्याय पर बोलने से कतराते हैं!
दिलीप कुमार अपवाद हैं। जिन्होंने मंडल कमीशन की सिफारिशों का खुलकर समर्थन किया।

पूरी फिल्म इंडस्ट्री मंडल आयोग के खिलाफ थी। उस समय दिलीप कुमार मंडल आयोग के पक्ष में खड़े हुए।
1990 में ऑल इंडिया मुस्लिम ओबीसी ऑर्गनाइजेशन (AIMOBCO) संगठन के पदाधिकारी विलास सोनावणे और शब्बीर अंसारी ने दिलीप कुमार से मुलाकात कर उन्हें मंडल कमीशन के बारे में अवगत कराया।

मंडल कमीशन में पसमांदा OBC मुसलमानों को भी आरक्षण का प्रावधान किया गया है।
देश में 80% मुसलमान पसमांदा ओबीसी हैं। दिलीप कुमार ने 27% ओबीसी आरक्षण का समर्थन करते हुए ओबीसी मुसलमानों को भी आरक्षण देने की मांग की।

दिलीप कुमार ने AIMOBCO संगठन के लिए पूरे देश भर में 100 से अधिक जनसभाओं को संबोधित किया।
उस वक़्त के मीडिया ने इतने बड़े सामाजिक आंदोलन का बॉयकॉट कर दिया।
दिलीप कुमार साहब बहुत बहुत धन्यबाद, आप महान कलाकार के साथ महान इंसान भी थे। अलविदा दिलीप साहब.आप जैसा कोई नही !

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