इस हादसे के गुनहगार सिर्फ कोचिंग के मालिक या प्रशासन ही नही बल्कि मोदी सरकार भी है
विशेष संवाददाता एवं ब्यूरो
कोचिंग संस्थानों की करतूत
शिक्षा को धंधा बनाने के चक्कर में हिंदुस्तान की पीढियां बर्बाद कर दी गई, मगर इन्हें कोई फ़र्क नहीं।
मगर इसके गुनहगार सिर्फ कोचिंग के मालिक या प्रशासन नहीं, बल्कि मोदी सरकार भी है ।
आवाम के टैक्स से करोड़ों का बजट शिक्षा के क्षेत्र में दिखावा के लिए ही सही मगर घोषित होता है। मगर इंफ्रास्ट्रक्चर और शिक्षकों के अभाव में किताबें दीमक चाट जाती है और विधार्थी भविष्य चाट जाता है ।
मजबूरी में बच्चों को पेट काटकर प्राइवेट स्कूल में पढ़ाया जाता है । फिर भी कोचिंग की जरूरत क्यों होती है ?
साइंस का विधार्थी अपने स्कूल से अच्छी शिक्षा प्राप्त करे तो इंजिनियरिंग या मेडिकल में जाने के लिए कोचिंग की क्या जरूरत है ।
ज्यादातर कोचिंग नीट और आईआईटी के लिए हैं, जहां लाखों की फीस देकर बच्चे पढ़ते हैं और फिर परीक्षापत्र लीक हो जाती है ।
इससे आगे एसएससी और यूपीएससी की कोचिंग की चलती है।
सोशल साइंस का छात्र अगर कॉलेज में अच्छी पढ़ाई पा ले, तो क्या जरूरत है एसएससी और यूपीएससी कोचिंग संस्थानों की ?
अगर सरकारी स्कूल या कॉलेज में शिक्षा का अभाव है तो प्राइवेट स्कूल/कॉलेज में बच्चे एडमिशन लेते हीं है ।
फिर कोचिंग की जरूरत तो तभी है जब प्राइवेट संस्थानों में भी शिक्षा उपयुक्त न मिले ।
अगर ऐसा है तो प्राइवेट स्कूल/कॉलेज को प्रतिबंधित कर दिया जाए अन्यथा कोचिंग संस्थानों को हीं बैन कर दिया जाए।
मगर इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं कि थोड़ी सी बारिश के कारण राष्ट्रीय राजधानी में बाढ़ आ जाए। और भयंकर भयावह हादसा गुजर जाए। मौजूदा केंद्र की सरकार भी उतनी जिम्मेदार है जितना प्रशासन और कोचिंग के मालिक भी है ।
साभार: पिनाकी मोरे