एक ऐसी जिद , अंध आस्था और गैर वैज्ञानिक सोच कि हरिद्वार का कुम्भ मेला नही अब कोरोना- कुम्भ बन चूका है?

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रिपोर्टर:-

अलग-अलग अखाड़ों में जाकर साधुओं के RT-PCR टेस्ट किए जा रहे हैं।
17 अप्रैल से टेस्टिंग और बढ़ाई जाएगी ।0 से 14 अप्रैल के बीच कोरोना वायरस के 1,701 नए संक्रमित मिले हैं।
यह तब है जब जांच और जांच रिपोर्ट आने की गति सुस्त है इसने उन चिंताओं की एक तरह से पुष्टि हो गई है कि विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन के कारण कोविड के मामले बढ़ सकते हैं।

इस बीच, गुरुवार को अखिल भारतीय श्री पंच निर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर कपिल देवदास (65) की मौत हो गई। महामंडलेश्वर कोविड जांच में संक्रमित पाए गए थे।
उनको सांस लेने में तकलीफ थी। कई दिनों से तेज बुखार भी आ रहा था।
वे कुंभ मेले में ही थे। 12 अप्रैल को महामंडलेश्वर का स्वास्थ्य अचानक बिगड़ गया था, जिसके बाद उन्हें देहरादून के अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
कोविड के साए में महाकुंभ स्नान से हरिद्वार में महामारी का खतरा मंडराने लगा है।

12 से 14 अप्रैल तक तीन स्नान पर गंगा में 49 लाख 31343 संतों और श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई है।
जिले में 1854 पॉजिटिव मरीज मिले, जो गुरुवार को बढ़कर 2483 पहुंच गए।
कई संत और श्रद्धालु बीमार भी हैं।
रुड़की विवि के वैज्ञानिक एवं विशेषज्ञ इससे संक्रमण का फैलाव कई गुना बढ़ने की आशंका से चिंतित हैं।

वैज्ञानिकों का दावा है कि कोरोना का वायरस ड्राई सरफेस की तुलना में गंगा के पानी में अधिक समय तक एक्टिव रह सकता है।
गंगा का पानी बहाव के साथ वायरस बांट सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि संक्रमित व्यक्तियों के गंगा स्नान और लाखों की भीड़ जुटने का असर आगामी दिनों में महामारी के रूप में सामने आ सकता है।

इस बीच निरंजनी अखाड़े के साधु संतों की छावनियां 17 अप्रैल को खाली कर दी जाएंगी।
महाकुंभ में हर बड़े स्नान के बाद करीब 10 हजार पुलिसकर्मियों की जांच कराई गई।
इनमें केवल 33 पुलिसकर्मी ही संक्रमित मिले।
ड्यूटी में लगाई गई 50 फीसदी फोर्स वापस बुला ली गई है।
अब कुंभ भी औपचारिक ही रह गया है।

27 अप्रैल को अखाड़ों के स्नान है उसमें सारे अखाड़े शामिल नहीं होते हैं।
जान लें इस कोरोना का असली असर तो तब पता चलेगा जब यहा आये लाखों लोग संक्रमण ले कर अपने गाँव-कस्बे में जायेंगे।.
जान लें इस बार का वायरस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में महज एक मिनिट रहने पर एक साथ आठ से दस लोगों को चपेट में लेता है ।

खुद को सर्व श्रेष्ठ बताने का दम्भ, प्रकृति से भी लड़ने की ताकत का छद्म दावे और हर समय दुसरे धर्म या आस्था से तुलना आकर खुद को निरापद बताने की मूर्खता की हद तक कोशिश के चलते,
आने वाले दिन में गंगा के तट के वाशिंदों और कुम्भ से पुन्य लूटने वालों के जरिये कोरोना-प्रसाद सारे देश में बटेगा ,
वैज्ञानिक बता चुके हैं कि गर्मी के बढते ही अर्थात- मई जून तक इसकी मार चरम पर होगी .।

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