एक नज़र इधर भी कासगंज दंगे की वह दो तस्वीरे क्या कुछ बया करती है ?
रिपोर्टर.
कासगंज में हुए दंगे से बिल्कुल पहले की दो बेहद खूबसूरत तस्वीरें आपके सामने रख रहा हूं।
जो अबतक शायद आपने कहीं नहीं देखी होंगी।
ये ओ तस्वीरें कासगंज के मुस्लिम मोहल्ले वीर अब्दुल हमीद तिराहे पर झंडारोहण से कुछ समय पहले की हैं।
तिरंगे के सीने में फूल बंधे हैं। नारंगी, सफेद और हरे रंग के गुब्बारे लटके हैं।
कुर्सियां लगी हैं, लोगों के चेहरे पर मुस्कान हैं।
ये तस्वीरें काफी हैं ये समझने के लिए कि मुस्लिमों ने भी झंडारोहण की भव्य तैयारियां की थी।
चंदन की मौत से गहरी संवेदना है हमे।
लोग कह रहे हैं कि चंदन को तिरंगा यात्रा निकालने पर मार दिया गया वो ज़रा इन दो तस्वीरों को गौर से देखें,
सोचें और गौर करें जब दोनों पक्षों का लक्ष्य एक तिरंगा था तब दोनों के दिलों में फांक किसने डलवाई?
कासगंज से इन तमाम सवालात के साथ वापस दिल्ली लौट रहा हूं कि क्या ये दंगा कोई बहुत बड़ी साजिश का हिस्सा था?
आखिर कब तलक हिंदुस्तान की नस्लें इन सब मसलों से उबर पाएंगी? क्या कभी सोंचा किसीने ?