एसडीएम द्वारा सास ससुर व साली के नाम की बैनामा इतनी बीघा जमीन चारो ओर भ्रष्टाचार की चर्चा

यूपी
संवाददाता

यूपी: सास-ससुर और साली के नाम 75 बीघा जमीन बैनामा कर दिया, एसडीएम-नायब तहसीलदार हटाए गए

उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में अफसरों ने ऐसा भ्रष्टाचार
किया कि सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे। बिना वैध वारिस की करोड़ों रुपये कीमत की 75 बीघा भूमि के बंदरबांट में कोई पीछे नहीं रहा। नायब तहसीलदार तक ने अपने सास-ससुर और साली के नाम पर बैनामा करा लिया। इनका सौदा सिरसागंज के जिला पंचायत सदस्य ने तय कराया था। वहीं, राजस्व निरीक्षक कार्यालय (आरआइओ) का कार्य देख रहे लेखपाल ने भी हाथोंहाथ खतौनी में नाम चढ़ाने के बदले अपने करीबियों के नाम भूमि करा ली। एसडीएम के गांव के लोगों के नाम से भी बैनामे हुए हैं।

1985 से चल रहा था मुकदमा

वर्ष 1985 से तीन पक्षों के बीच चल रहे भू-स्वामित्व के विवाद को सुलझाने का सिरसागंज तहसील में अधिकारियों ने ऐसा तरीका निकाला, जिसे सुनकर हर कोई हैरान है। इसी वर्ष सात जून को तत्कालीन एसडीएम विवेक राजपूत ने तहसीलदार द्वारा 28 जनवरी 2019 को दिए निर्णय को पलट दिया। इसके बाद जो हुआ, उससे मामले में आरोपी सभी अधिकारियों की सत्यनिष्ठा कठघरे में आ गई है।

एसडीएम के आदेश के बाद भी जहां किसान खतौनी में नाम दर्ज कराने के लिए महीनों तहसील के चक्कर काटते हैं, इस मामले में वह अगले कार्य दिवस में ही दर्ज हो गया।

रिश्तेदारों के नाम कराए बैनामे

8 जून को द्वितीय शनिवार और नौ जून को रविवार का अवकाश होने के बाद 10 जून को तहसील खुलते ही पहला काम मनोज कुमार करसौलिया आदि के नाम खतौनी में चढ़ाने का हुआ। इसी के आधार पर मनोज कुमार आदि ने 12 जून को पूरी भूमि बेच दी। 25 बीघा भूमि के तीन बैनामे प्रभारी तहसीलदार का कार्य देख रहे तत्कालीन नायब तहसीलदार नवीन कुमार की सास राजश्री चाहर, ससुर महिपाल और साली अनीता सिंह निवासी 26 डिफेंस कालोनी आगरा के नाम हुए। मामला सुर्खियों में आने के बाद डीएम रमेश रंजन ने एसडीएम विवेक राजपूत और नायब तहसीलदार नवीन कुमार को हटा दिया है।

ये था पूरा मामला

मामला गांव रुधैनी की 75 बीघा जमीन का है, जिसके स्वामित्व को लेकर तीन पक्षों में विवाद है। ये जमीन सरदार सिंह की थी। उनकी पहली पत्नी रामबेटी से कोई बेटा नहीं था। रामबेटी की मृत्यु के बाद उन्होंने अपनी साली भगवती से शादी कर ली। भगवती से कोई संतान नहीं हुई। सरदार सिंह की मृत्यु के बाद भगवती ने कुछ लोगों को खेतीबाड़ी की रखवाली की जिम्मेदारी दे दी। 1985 में भगवती की मृत्यु के बाद श्यामादेवी नाम की महिला ने जमीन पर यह कहते हुए दावा किया कि वह रामबेटी की बेटी है। परिवार में और कोई न होने के कारण वह जमीन की मालिक है। रुधैनी में ही रहने वाले सरदार सिंह के परिवार के मनोज कुमार करसौलिया पक्ष ने दावा किया जमीन पर उनका अधिकार है। दोनों पक्ष कोर्ट गए। वहां गांव के ही योगेंद्र कुमार ने भी दावा किया कि भगवती ने उन्हें गोद लिया था। मनोज पक्ष ने अपंजीकृत वसीयत और योगेंद्र ने अपंजीकृत गोदनामा प्रस्तुत किया।

श्यामा देवी के नाती मनु मिश्रा का कहना है कि 2019 में तहसीलदार न्यायालय ने उनका दावा सही मानते हुए उनके पक्ष में निर्णय दिया था। इसके बाद उनकी दादी का नाम भी खतौनी में चढ़ गया। इस निर्णय के विरुद्ध बाकी दो पक्ष ने एसडीएम के यहां अपील की, जिसमें एसडीएम ने उन्हें बिना बुलाए, बिना सुने गलत तरीके से निर्णय दे दिया। दोनों में से किसी पक्ष के पास न तो पंजीकृत वसीयत है और न गोदनामा। उन्होंने इसके विरुद्ध कमिश्नर के यहां अपील की है।

साभार; मोहमद अरशद यूपी

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