क्या अमेरिका दिवालिया होने की कागरपार पहुंच गया है? क्या है पूरा मामला ?
एडमिन
अगर अमेरिकी कांग्रेस ने पहले से लिये गये लगभग 3-ट्रैलियन डॉलर पर इस साल का बक़ाया लगभग 378-अरब डॉलर का ब्याज़ अदा नहीं किया तो आने वाले 18-अक्टूबर तक अमेरिका दीवालिया घोषित हो सकता है?
अमेरिकी क़ानून के हिसाब से सरकारी ख़ज़ाने की देखभाल पार्लियामेंट के हाथों में है मतलब सिर्फ़ राष्ट्रपति के चाहने भर से कुछ नहीं हो सकता जब तक संसद इजाज़त न दे…
जबकि हमारे यहां तो एक महामानव ही काफी है जितना चाहे क़र्ज़ ले..काजू रोटी और मशरूम खाए, जी करे तो मुर्ग है और पंच पकवान खाते रहे।
और जो कपड़ा एक बार तन पर चढ़ जाए दोबारा डस्टबिन में ही जगह मिलेगी।
अब आगे बढ़ते हैं , इसी वर्ष जुलाई में संसद ने 28-अरब 50-करोड़ डॉलर क़र्ज़ लेने की मंज़ूरी दी थी।
.जो काफी नहीं हैं इसलिए वित्त मंत्रालय ने अमेरिकी संसद से मांग की है कि ख़र्च पूरा करने के लिए और क़र्ज़ की ज़रूरत पड़ेगी वरना विकास का पहिया जाम हो जायेगा
ज्ञात रहे कि अमेरिकी बांड के सबसे बड़े ख़रीदार चीन , साउथ कोरिया , जापान और खाड़ी देशों के धन्ना सेठिये हैं।
इसलिए चीन किसी भी स़ूरत में अमेरिका को दीवालिया होने से बचाने की कोशिश करेगा ,
हालांकि दोनों देशों के बीच ज़बरदस्त तनाव की स्थिति है।
अगर चीन ने अमेरिका को बचाने की कोशिश नहीं की तो ख़ुद चीन की इकॉनमी के तो रस्ते लग जायेंगे।
लेकिन जब तक अमेरिका में फेडरल रिजर्व बैंक के पास डॉलर छापने की मशीन है चिंता की कोई बात नहीं।
थोड़ा सा काग़ज़ और थोड़ी सी स्याही.
डॉलर तैयार,कौन पूछने वाला है कि जब इस काग़ज़ की क़ीमत ख़त्म हो जायेगी तो इसके बदले सोना कौन देगा फेडरल रिजर्व बैंक या जोबाइडन??
रहे नाम मौला का।
साभार:
अबु फारिस भाई