क्या कोई भी प्रत्याशी आपके वोट को खरीद सकता है तो आपको बेच भी सकता है?

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रिपोर्टर:-

प्रलोभन से दूर रहकर करें अपने मत का प्रयोग.
किसी और पर अंगुली उठाने से पहले खुद की जवाबदेही तय करें!
वोट का प्रयोग सोच-समझ कर करें !
हमारे देश में लंबे समय से जाति लिंग, धर्म, आर्थिक स्थिति के आधार पर भेदभाव किया जाता रहा है! जो पूरी तरह से अतार्किक और अमानवीय है!
कोई भी व्यक्ति किस जाति और धर्म में पैदा होगा महिला या पुरुष होगा वह खुद तय नहीं करता।
संयोग से हुई किसी चीज पर न तो घमंड किया जा सकता है और न ही दूसरे को हीन समझा जा सकता है।
आप किसी भी जाति या धर्म में पैदा हुए हों, पुरुष हों या महिला, आपकी आर्थिक स्थिति कैसी भी क्यों न हो,
सभी लोगों के वोट का मूल्य एक ही होगा।यही चीज वोट को बहुमूल्य बनाती है।

दूसरी बात, अगर कोई प्रत्याशी आपके वोट को खरीद सकता है तो आपको बेच भी सकता है।
मान लीजिए कि आपने अपने वोट को बेच दिया तो क्या आप नैतिक रूप से पांच साल तक किए गए गलत कार्यों के खिलाफ बोलने की हिम्मत दिखाएंगे? ऐसा आप नहीं कर पाएंगे।
अगर आपने वोट को नहीं बेचा है तो आप पांच साल तक अपने प्रतिनिधि से सवाल पूछ सकते हैं।
इस योजना में इतना पैसा आया तो कहां खर्च हुआ,
इसका हिसाब मांग सकते हैं। आरटीआइ के तहत भी जानकारी ले सकते हैं।
प्रधान तक को भी हटवा सकते हैं। यह आपके वोट की कीमत है।

तीसरी बात कि आप ठीक-ठाक शिक्षित कर्मठ समझदार व्यक्ति को वोट देंगे तो हो सकता है कि पांच साल तक आपके गांव प्रत्याशी आपके वोट को खरीद सकता है तो आपको बेच भी सकता!
प्रलोभन से दूर रहकर करें अपने मत का प्रयोग.
किसी और पर अंगुली उठाने से पहले खुद की जवाबदेही तय करें!
वोट का प्रयोग सोच-समझ कर करें !
हमारे देश में लंबे समय से जाति लिंग, धर्म, आर्थिक स्थिति के आधार पर भेदभाव किया जाता रहा है।
जो पूरी तरह से अतार्किक और अमानवीय है!
कोई भी व्यक्ति किस जाति और धर्म में पैदा होगा। महिला या पुरुष होगा वह खुद तय नहीं करता।
संयोग से हुई किसी चीज पर न तो घमंड किया जा सकता है और न ही दूसरे को हीन समझा जा सकता है।
आप किसी भी जाति या धर्म में पैदा हुए हों, पुरुष हों या महिला,
आपकी आर्थिक स्थिति कैसी भी क्यों न हो, सभी लोगों के वोट का मूल्य एक ही होगा।
यही चीज वोट को बहुमूल्य बनाती है। दूसरी बात,
अगर कोई प्रत्याशी आपके वोट को खरीद सकता है तो आपको बेच भी सकता है।

मान लीजिए कि आपने अपने वोट को बेच दिया तो क्या आप नैतिक रूप से पांच साल तक किए गए गलत कार्यों के खिलाफ बोलने की हिम्मत दिखाएंगे? ऐसा आप नहीं कर पाएंगे।
अगर आपने वोट को नहीं बेचा है तो आप पांच साल तक अपने प्रतिनिधि से सवाल पूछ सकते हैं।
इस योजना में इतना पैसा आया तो कहां खर्च हुआ, इसका हिसाब मांग सकते हैं।
आरटीआइ के तहत भी जानकारी ले सकते हैं।
प्रधान तक को भी हटवा सकते हैं। यह आपके वोट की कीमत है।

तीसरी बात कि आप ठीक-ठाक शिक्षित कर्मठ समझदार व्यक्ति को वोट देंगे तो हो सकता है कि पांच साल तक आपके गांव में समरसता और भाईचारा बना रहे।
विकास की योजनाएं आपके तक बिना कमीशन की पहुंच सकें, वाजिब लोगों को योजनाओं का लाभ मिल सके।
यह सिर्फ आपके वोट पर निर्भर करता है।
फिर आपके वोट की कीमत है कि प्रत्याशी वोट के लिए आपके दरवाजे पर आता है,
आपसे हाथ जोड़ता है, कभी पैर पकड़ता है ।
दरअसल, आपके ही वोट से ही वह ग्राम प्रधान,जिला पंचायत, विधायक,सांसद से लेकर प्रधानमंत्री तक का सफर तय करता है।

इसलिए वोट का प्रयोग सोच-समझ कर करें।
यह पंचायत व ग्राम तंत्र आपकी एक अंगुली के इशारे पर बनता और बिगड़ता है।
लिहाजा, किसी और पर अंगुली उठाने से पहले खुद की जवाबदेही तय करें!
जब अंगुली उठाएं तो पूरी जिम्मेदारी से उठाएं सोच-समझ कर,
सूझ-बूझ कर पूरी सर्तकता से उसे वोट दें जो हमारे अपने गाँव तंत्र यानी की बेहतरी तय करता हो, सोच-समझ कर वोट करें।
अपने और गावों के असल मुद्दों पर गौर करें! गावों की राजनीति को समझें, दलों को जानें उनकी नीति और नीयत पर मंथन करें। और फिर सभी चुनें-सही चुनें। में समरसता और भाईचारा बना रहे।

विकास की योजनाएं आपके तक बिना कमीशन की पहुंच सकें,
वाजिब लोगों को योजनाओं का लाभ मिल सके। यह सिर्फ आपके वोट पर निर्भर करता है।
फिर आपके वोट की कीमत है कि प्रत्याशी वोट के लिए आपके दरवाजे पर आता है,
आपसे हाथ जोड़ता है, कभी पैर पकड़ता है ।
दरअसल, आपके ही वोट से ही वह ग्राम प्रधान,जिला पंचायत, विधायक, सांसद से लेकर प्रधानमंत्री तक का सफर तय करता है।
इसलिए वोट का प्रयोग सोच-समझ कर करें।
यह पंचायत व ग्राम तंत्र आपकी एक अंगुली के इशारे पर बनता और बिगड़ता है।

लिहाजा, किसी और पर अंगुली उठाने से पहले खुद की जवाबदेही तय करें!जब अंगुली उठाएं तो पूरी जिम्मेदारी से उठाएं सोच-समझ कर, सूझ-बूझ कर पूरी सर्तकता से उसे वोट दें जो हमारे अपने गाँव तंत्र यानी की बेहतरी तय करता हो,
सोच-समझ कर वोट करें। अपने और गावों के असल मुद्दों पर गौर करें! गावों की राजनीति को समझें, दलों को जानें उनकी नीति और नीयत पर मंथन करें।
और फिर सभी चुनें-सही चुनें।

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