चेहरे नही निजाम बदलो

एडमिन

चेहरे, तस्वीरें बदली जा सकती है निजाम नही बदले जा सकते।
जी हां ! क़ज़ाक़िस्तान की अवाम ने क़ज़ाक़ सदर
क़ासिम जमरात तौक़ीर” की नीतियों को रद करते हुए राजधानी आस्ताना में डटे हुए हैं.
दरअस़ल कल स़दर क़ासिम ने अपनी पूरी कैबिनेट को ये कहते हुए बर्ख़ास्त कर दिया था कि सब मुल्क और अवाम दुशमन हैं..स़दर को उम्मीद थी की इस तरह प्रदर्शनकारी खामोश होकर घरों को लौट जायेंगे
और वह रूस की मदद से सेकुलरी अय्याशियां जारी रख सकेंगे लेकिन खेल इतना आसान नहीं है…
सुपर पॉवरों के अफगानिस्तान में शर्मनाक शिकस्त के बाद अब क़ज़ाकिस्तान नया मैदान चुना गया है , मामला वही रूस अमेरिका यूरोप वर्चस्व बनाने का है.
रूस जहां एक तरफ नाटो को मात देते हुए यूक्रेन पर क़ब्ज़ा करना चाहता था…वहीं दूसरी तरफ अमेरिका ने रूस के सबसे क़रीबी सहयोगी क़ज़ाक़िस्तान में बवाल कटवा दिया..अब रूस के लिए आगे कुवां पीछे खाई वाली स्थिति है.

यूं तो प्रदर्शन कारियों को कुचलने के लिए स़दर क़ासिम द्वारा रूस से सैन्य मदद की अपील को पुटिन ने नकार दिया है लेकिन CSTO ने अपने सैनिकों को क़ज़ाक़िस्तान भेजने का ऐलान कर विश्वयुद्ध की तरफ लगभग एक क़दम और बढ़ा दिया है… CSTO दरअस़ल वह परस्पर सहयोगी देश हैं जिसमें आर्मीनिया , बेलारूस , रूस क़ज़ाक़िस्तान , किरग़िज़िस्तान , ताजकिस्तान जैसे पूर्व सोवियत संघ से अलग हुए राष्ट्र हैं , जिन्होंने आपस में एक दूसरे की मदद का समझौता कर रखा है…
अब जब इतने देश मदद को आयेंगे तो ज़ाहिर सी बात है कि नाटो और संयुक्त राष्ट्र भी हरकत में आयेंगे…
CSTO संगठन में आर्मीनिया की मौजूदगी ने पहले ही अज़रबाएजान और तुर्की के कान खड़े कर रखे हैं..और उस पर रूस की यूक्रेन पर जारहियत ने नाटो को भी परेशानी में डाल रखा है…यानि खेल काफी दिलचस्प होने वाला है…गेम ऑन है !

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