जाको राखे साइयां मार सके न कोय

सीतामढ़ी
संवाददाता,एवं ब्यूरो

2 माह के बच्चे के साथ 28 घंटे फंसी रही रुखसाना, अचानक आई बाढ़ में फंसे लोगों ने छोड़ दी थी जीने की आस

सीतामढ़ी: मारने वाला है भगवान, बचाने वाला है भगवान। ये कहावत बिहार के सीतामढ़ी के बेलसंड के बाढ़ पीड़ितों पर सटीक बैठती है। जिंदगी कीVआस छोड़ चुके बाढ़ पीड़ितों के लिए एनडीआरएफ की टीम मसीहा के रूप में पहुंची।

मधकौल बांध टूटने के बाद गांव में इतनी तेजी से बाढ़ का पानी घुसा कि लोग कुछ समझ ही नहीं पाए। कोई खेत में काम कर रहा था तो कोई घर में।. ऐसे में आचनक इतनी तेजी से आए पानी ने किसी को कुछ समझने का मौका ही नहीं दिया। इससे गांव के लोग जहां-तहां घरों की दीवारों पर और ऊंची जगहों पर अपनी जान बचाने के लिए भागे।

इसी बाढ़ में फंस गई 2 माह के बच्चे को गोद में लिए हुए रुखसाना और 60 साल के राम विलास।.अचानक आई इस बाढ़ में फंसे मधकौल निवासी 60 वर्षीय राम विलास तो पांच इंच की दीवार पर 36 घंटे तक मदद के लिए बैठे रहे कि शायद कोई उन्हें बचा ले। दूसरी तरफ बसौल गांव निवासी रुखसाना अपने दो माह के बच्चे को गोद में लेकर पानी के बीच 28 घंटे तक खड़ी रही और बचाने वाले मसीहा का इंतजार करती रही।

जिले में रौद्र रूप धारण कर चुकी बागमती नदी के कहर से बेलसंड प्रखंड के मधकौल में बांध टूटने के कारण चार गांव के सैकड़ों लोग घंटों फंसे रहे. करीब 30 घंटे से अधिक समय तक पानी के तेज बहाव के बीच लोग अपने-अपने घरों में मदद की आस लगाए कैद रहे।.बचाव कार्य के लिए पहुंची एनडीआरएफ की टीम बाढ़ में फंसे लोगों के लिए देवदूत बन गयी।

अचानक आई इस बाढ़ में बचने की आस छोड़ चुके लोगों ने जब एनडीआरएफ को देखा तो उनके जीने की नई उम्मीद जगी. रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल बेलसंड थाने के पीटीसी सिपाही त्रिपुरारी कुमार झा ने बताया कि मधकौल गांव में जहां बांध टूटा था वहां से करीब तीन किमी की दूरी पर स्थित बसौल गांव के सरेह में एक-दो घर दिख रहे थे। वहां आधा दर्जन से अधिक बच्चे और बूढ़ी महिलाएं फंसी हुई थी। इनके बीच अपने दो माह के बच्चे को गोद में लिए रुखसाना 28 घंटे तक मदद की आस में पानी में खड़ी रही।जैसे ही एनडीआरएफ की टीम बचाव के लिए रुखसाना के घर पहुंची तो उनका दर्द छलक उठा।

उन्होंने सबसे पहले अपने गोद लिए बच्चे को एनडीआरएफ टीम के सदस्य को पकड़ा दिया। इस दौरान वह रोते हुए पहले अपने बच्चे को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने की गुहार लगाने लगी। बच्चे को गोद में लेने के बाद एनडीआरएफ टीम के सदस्यों की भी आंखें नम हो गयी।

एनडीआरएफ टीम ने एक-एक घर में कैद करीब एक दर्जन से अधिक लोगों को रेस्क्यू कर बाहर निकाला और उन्हे सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया।
संवाद: डी आलम शेख

SHARE THIS

RELATED ARTICLES

LEAVE COMMENT