देश भर में थी गुस्से की लहर जिसमे लोगों ने गुस्से से की थी वोटिंग लेकिन बीजेपी की वोटों की चोरी ने देश के भरोसे को धोखा दिया

विशेष संवाददाता एवं ब्यूरो

अभी अभी तो आये हो जनाब

अभी इतनी जल्दी क्यों जा रहे हो.?

अबकी बार 400 पार का नारा एक सोची समझी रणनीति के तहत घोषित एक संख्या थी, लेकिन इ
से नारा बनाकर बीजेपी ने अपने हर कार्यकर्ता के गले का मीठा स्वाद बना दिया, ओर इसी को बार-बार बोला भी गया ताकी गले की खराश न बन पाए, इस योजना के पिछे चुनाव आयोग का बड़ा हाथ रहा है।

अगर चुनाव आयोग की हिस्सेदारी नहीं होती तो मोदी चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से सर्वोच्च न्यायालय को बाहर न निकाला होता। चंडीगढ़ मेयर चुनाव की पुनरावृत्ति होने के लिए बीजेपी ने अपनी सुविधानुसार ऐसे व्यक्तित्व को चुनाव आयुक्त बनाया ताकी 400 पार की योजना सफल हो सके।

इस चुनाव की घोषणा के तुरंत बाद विपक्ष और जनता एक होकर चुनाव की धांधली पर पैनी नजर बनाए रखे था, बीजेपी और चुनाव आयोग दोनों को इसका आभास भी हो गया था कि कहीं चोरी पकड़ी गई और अदालत में खड़ा कर दिया गया तो कहीं सारा चुनाव रद्द न हो जाए, इसी डर से चुनाव आयोग ने अपनी योजना में बदलाव कर मतदान के डाटा को बहुत देरी से घोषित किया और किया तब 1 करोड़ 7 लाख वोट बढ़ाकर बताया गया।

, डाटा को देर से देने का मुख्य कारण वोटों को बढ़ाना ही था। लेकिन जैसे ही डाटा प्रकाशित किए, विपक्ष और जनता ने शोर मचाना शुरू कर दिया। और चुनाव आयोग जवाब देने से कतराने लगा।
जवाब न दे पाने के कारण ही चुनाव आयोग को आगे के सभी चरणों में मतों को बढ़ाने की रणनीति बंद करनी पड़ी। मत वहीं बढ़ाये गये जहां बीजेपी पर शक न हो सके ओर चुनाव आयोग भी आसानी से सुरक्षित निकल सके।

मतों को उन्ही राज्यों में बढाए गए जहां बीजेपी पहले से निश्चित तो थी लेकिन देश के गुस्से से भी वाकिफ थी। जैसे मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बंगाल, उड़ीसा, दिल्ली, हिमाचल कर्नाटक और कुछ कुछ जगहों पर राजस्थान में। यही वो कारण है कि बीजेपी 239 के आंकड़े को छू सकी अगर चुनाव पूर्ण ईमानदारी, निष्पक्ष हुए होते तो बीजेपी,100 सीटों को भी छू नहीं पा रही थी।

मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 2 चुनाव हुए हैं और सभी ने मोदी को बेमतलब के भाषणों को सुना भी है। मोदी के किसी भी भाषण में कोई मतलब का तर्क या तथ्य नहीं था, कयोंकि मोदी निष्कर्ष थे कि यह चुनाव भी योजनानुसार जीते जायेंगे तो मुद्दों को बोलने की बजाय विपक्ष को निचा दिखाने के कुतर्कों पर शोर मचाकर विपक्ष को भ्रमित किया जाये। ताकी विपक्ष केवल मोदी के झूठे आरोपों का जवाब देने में लगा रहे और देश को देश की जरूरत के हिस्से से वह भी भटक जाए।

देश में गुस्सा बहुत था, देश ने वोट भी उसी गुस्से में डाले भी है लेकिन बीजेपी की वोट चोरी ने देश के विश्वास को धोखा दिया, चोर चुनाव आयोग ने अपनी स्वायत्तता को सरेआम नीलाम कर दिया, अन्यथा बीजेपी सरकार बनाने से बहुत दूर होती। यह तो पहले से सभी जानते थे कि मोदी सत्ता नहीं छोड़ेंगे लेकिन इस तरह से वापस आयेंगे सोचा नहीं था, सभी सोच रहे थे कि कुछ नया होगा और बड़ा होगा।

बीच चुनाव में अमित शाह ने कहा था कि मोदी सरकार ने बहुमत हासिल कर लिया है अब आगे बढत की सीटें आनी है। बीजेपी नेताओं ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि हमें 400 से ज्यादा सीटें क्यों चाहिए? लेकिन विपक्ष का सतर्क होने, जनता का सजग रहने के कारण बीजेपी को यही रूकना पड़ा और झुकना भी पड़ा।

मोदी केवल संविधान के आगे ही नहीं झुके बल्कि मोदी को विपक्ष ने भी अपने आगे झुका दिया, केवल मोदी ही झुके ऐसा ही नहीं संघ को भी डर लगा ओर लाठी लेकर बीजेपी के पिछे भागते देखा गया। यह उस विपक्ष और जनता की ताकत है।

भले ही बीजेपी जनमत की चोरी कर पुनः सत्ता में आ गई है लेकिन अब जनता पुर्ण रूप से जाग गई है। मोदी भी तो हिंदुओं को जगाने का आह्वान करते रहे हैं, सब जाग गये तभी तो अयोध्या से बीजेपी को भगा दिया गया। यह हिंदुओं की ईमानदार ताकत है कि वो देश में सौहार्द और शांति की स्थापना चाहते हैं।

शायद यही कारण है कि पहले बीजेपी मुसलमानों को गालियां देती थी कि यह हमें वोट नहीं देते और अब वही बीजेपी हिंदुओं को गाली देने लगे कि इन्होंने हमें हरा दिया।बीजेपी से सच पूछा जाए कि इन्होंने हिंदुओं के लिए क्या किया है, क्या केवल राम मंदिर निर्माण से ही हिन्दू का कल्याण हो जायेगा.?

देश भर में बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार केवल मुसलमान के लिए ही नहीं हिंदुओं को भी खा रहा था। अब यह निश्चित हो गया है कि यह सरकार बनने के साथ ही जानें की उल्टी गिनती शुरू कर चुकी है। बस अब थोड़ा सा इंतजार करने की जरूरत है।

संवाद
एस के शर्मा.पिनाकी मोरे

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