बीजेपी सरकार ने इंडिया गठबंधन में तोड़फोड़ करने की कोशिश की जिसके कारण इंडिया गठ बंधन बिखरने के बजाय इसे लोगों का चारो तरफ से समर्थन मिल रहा है, दिन ब दिन उसकी ताकत बढ़ती जा रही है!में

विशेष संवाददाता

इंडिया गठबंधन की बढ़ती ताकत और सरकार

भाजपा सरकार ने इंडिया गठबंधन में तोड़फोड़ की जो कोशिश नीतीश कुमार के ज़रिए शुरू की थी उससे अनुमान था कि इंडिया गठबंधन के अन्य दलों पर भी झपट्टा मारा जा सकेगा जिससे यह बिखर जाएगा। दूसरी कोशिश, झारखंड में हेमंत सोरेन को ईडी की धौंस में फर्जीवाड़ा के आरोप जड़ जेल भेजकर की गई किंतु एक समझदार मुख्यमंत्री की तरह उन्होंने झारखंड में अपनी सरकार सुरक्षित कर उसे बचा लिया तथा फिर निडर होकर गिरफ्तार भी हो गए।उनके भयहीन और सख्त तेवर ने अन्य विपक्षी नेताओं को निडरता का संदेश दिया और फिर धड़ल्ले से गठबंधन को जिस तरह लगातार सफ़लता मिल रही है उसे देख भाजपा को सांप सूंघ गया है।

उल्टा वार पड़ते ही मोदी ने भगवा चोला पहन भगवान की शरण में जाना की नौटंकी शुरू कर दि है ताकि अब हिंदुत्व कार्ड पर ही वोट हथियाया जाए।
उधर बिहार में नीतीश कुमार के जाने के बाद तेजस्वी और राहुल गांधी को दुगुनी ताकत मिली। बिहार में भारत जोड़ो न्याय यात्रा को भरपूर समर्थन इस बात की ताकीद करता है जबकि नीतीश भाजपा के साथ जाकर बेचैनी महसूस कर रहे हैं उनके मंत्रीमंडल का अब तक विस्तार भी नहीं हो पाया है मात्र 9 मंत्री से ही काम चल रहा है।

बताया जा रहा है कि नीतीश के मन की ये बैचेनी पिछले दिनों लालूजी से एक निजी मुलाकात में सामने आई।कयास लगाए जाने लगे हैं कि जेडीयू विधायकों की धमकी और बिहार तथा अन्य राज्यों में कांग्रेस के सुधरते हालात को देखकर नीतीश फिर ना पलटी मार लें क्योंकि ये उनकी तासीर में है। झारखंड में कांग्रेस को मोर्चे का मजबूत साथ मिल ही चुका है। मध्यप्रदेश में भी कमलनाथ के साथ बीस बाईस कांग्रेस के विधायकों को भाजपा में लाने की साज़िश हुई किंतु यह शो फ्लाप रहा।अब इसकी लीपापोती चल रही है यह कहा जा रहा है देर सबेर यह होगा। इंतज़ार करें।

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और अखिलेश के बीच जो सुदृढ़ता भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान बनी वह बहुत महत्वपूर्ण है।सीट वितरण की समस्या भी आसानी से हल हो चुकी है। जैसा कि विदित ही होगा यहां बिना किसी विवाद के 17 लोकसभा सीट पर कांग्रेस चुनाव लड़ेंगी और शेष पर समाजवादी और उनके समर्थक दल। यहां 80 लोकसभा सीट हैं। यह गठबंधन यानि अखिलेश और राहुल गांधी मिलकर एक बड़ा बदलाव ला सकते है। किसान आंदोलन भी भाजपा की हालत बिगाड़ेगा।

इन परिस्थितियों को मद्देनजर रखते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जो इन दिनों ईडी के घेरे से परेशान हैं तथा उनके दमदार साथी ईडी के आरोपों से जेल में हैं, उन पर कांग्रेस के साथ समझौता ना करने का दबाव था। लेकिन केजरीवाल ने दिल्ली की 7 लोकसभा सीट में से तीन कांग्रेस को देने की घोषणा कर दी है। यह भाजपा के लिए बड़ा झटका है इससे पहले भाजपा और संघ इसे अपनी बी टीम मानता रहा है। अरविंद केजरीवाल का अब संघ और भाजपा से पूरी तरह मोहभंग हो चुका है।

ममता बनर्जी के तीखे तेवरों से भाजपा आश्वस्त थी कि तृणमूल, कांग्रेस को एक भी सीट बंगाल में नहीं देगी लेकिन इंडिया गठबंधन को उत्तर भारत में अपार समर्थन मिलते देख तथा हाल ही में संदेशखाली में दंगा कराने का भाजपा का खेला देखकर , ममता हिल गईं ।अब कांग्रेस को पांच से सात सीट देने राजी हो गई हैं।उनसे सोनिया जी और लालूजी ने गठबंधन मज़बूत करने का भी आग्रह किया था। यहां यह भी स्पष्ट कर दूं राहुल गांधी की बंगाल में, भारत जोड़ो न्याय यात्रा जिन क्षेत्रों से गुजरी वहां उसे भरपूर समर्थन मिलना भी इस दिशा में महत्वपूर्ण साबित हुआ है।

राजस्थान, मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस में लगभग सीधी टक्कर ही होती है। राहुल की यात्रा राजस्थान पहुंच चुकी है। मुरैना से फिर मध्यप्रदेश, फिर गुजरात और अंतिम चरण में मुंबई महाराष्ट्र पहुंचेगी। यहां यात्रा की बेसब्री से प्रतीक्षा हो रही है।यह निश्चित तौर पर इंडिया गठबंधन को मज़बूत कर भाजपा के 400 पार के तिलिस्म को तोड़ेगी।

कुल मिलाकर भाजपा ने गठबंधन को तोड़ने के जितने भी हथकंडे अपनाए वे सब एक एक कर ध्वस्त हो रहे हैं। यह पहले भी आकलन किया जा चुका है यदि भाजपा के मुकाबले इंडिया गठबंधन होगा तो भाजपा का खेल आसानी से ख़त्म हो सकता है। इंडिया गठबंधन की मज़बूती देख इसलिए अब दलाल और देश की गद्दार मीडिया भी स्वर बदलने लगा है। भगदड़ भी थमी है।

साभार: पिनाकी मोरे

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