मुश्किल दौर में भी रुपयों की हवस में अंधे हो चुके कुछ दुकानदार,इंसानियत को कर रहे दरकिनार?

रिपोर्टर:-
किराना व्यापारियों द्वारा दैनिक जरूरतों के सामान में बढ़ाए गए भाव से सामान खरीदना मुश्किल !
आज का जो स्वार्थी समाज अपने नैतिक मूल्यों को नजर अंदाज कर सिर्फ अपने बारे में सोच रहा है!
समाज में क्या गलत हो रहा है किस बात से लोगो मे गुस्सा बढ रहा है किससे समाज के नैतिक मूल्यों का हनन हो रहा है।
किससे मानवता शर्मसार होती है उसके खिलाफ लिखना या उसका विरोध करना एक जिम्मेदार मनुष्य का कर्तव्य होता है।
लेखक की लेखनी से समाज में सुधार और विकास हो यही लेखक का उद्देश्य होना चाहिए
वैसे एक अच्छा लेखक किसी जाति और धर्म से जुड़ा नहीं होता।
उसकी जाति उसका धर्म सिर्फ इंसानियत होती है lमैं किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुँचाना चाहता हूँ लेकिन अपने अन्दर हो रही उथल पुथल से मैं व्यथित हूँ।
जिसे आप लोगों तक पहुंचाना चाहता हूँ।
क्योंकि आज का जो स्वार्थी समाज अपने नैतिक मूल्यों को नजर अंदाज कर अपने बारे में सोच रहा हैं।
जबकि उसको पता हैं कि आज वह किसी के साथ कर रहा हैं कल उसके साथ भी ही सकता हैं।
आज के मुश्किल दौर में भी रुपयों की हवस में अंधे हो चुके कुछ व्यवसाय व्यापारी से जुड़े दुकानदार अपनी नापाक हरकतों से बाज नही आ रहे हैं।
इंसानियत को दरकिनार कर लॉक-डाउन लगने का बहाना बनाकर ओर लोगो मे लॉक डाउन का डर का पूरा फायदा उठा रहे है!
मार्केट में पिछले साल जैसी कालाबाजारी चालू कर दी गई है इसपे लगाम लगाना मुश्किल हैं।
क्योंकि हर कोई अपने स्वार्थ में डुबा हुआ हैं कि मुझ को मिल जाये और चाहे उसके लिए ज्यादा पैसा चुकाना पडे।
लोग अपनी जरूरत के सामानों की खरीदी कर रहे हैं।
व्यापारी सामानों के दाम में भारी बढ़ोतरी कर बेच रहे हैं।
शिकायत पर कलेक्टर ने अधिकारियों को कालाबाजारी रोकने के निर्देश दिए हुए हैं।
लेकिन आपाधापी में कोई भी इस की शिकायत करने नही चाहता सबको अपनी लगी हुई है।
कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए प्रशासन द्वारा किए गए डेढ़ दिन के लॉकडाउन के बीच जमाखोरों और मुनाफाखोरों की चांदी हो गई है।
ऐसे लोग मुनाफा कमाने के चक्कर में इंसानियत को भी तार-तार कर रहे हैं।
एक ओर जहां परेशान लोगों की मदद के लिए समाजसेवी दान करने में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते है,
वहीं जमाखोर-मुनाफाखोर भी बाज नही आ रहे हैं।
शासन और प्रशासन की चेतावनी के बावजूद जमाखोरी करने वाले बाज नहीं आ रहे है।
एक ओर जहां गरीब और मजदूरों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
ऐसे में किराना व्यापारियों द्वारा दैनिक जरूरतों के सामान में बढ़ाए गए भाव से सामान खरीदना मुश्किल हो गया है!