ये नेता शायद भूल गए होंगे या किसी लालच ने इनका जमीर खोखला किया
विशेष संवाददाता एवं ब्यूरो
नायडू पांच साल पहले इसी प्रयास में थे कि नरेंद्र मोदी को केंद्र की सत्ता से हटाया जा सके। और चंद्र बाबू नायडू को नरेंद्र मोदी द्वारा टॉर्चर भी बहुत किया गया था। नायडू को झूठे केस मे फंसाकर जेल मे भी डाला गया था। मोदी के कारण तब से इन्होंने शपथ लिया मोदी को सत्ता से हटाना है।
उस समय नायडू हर राज्य की राजधानी में जाकर नेताओं से बात कर रहे थे। वह नेताओं से कह रहे थे हम सब मिलकर एक ऐसा फ्रंट बनाएं ताकि केंद्र की सत्ता से नरेंद्र मोदी को हटा सकें। साल 2023-24 में वही रोल नीतीश कुमार निभाते हुए दिखे।
नीतीश कुमार भी सभी राज्यों की राजधानी में गए, अलग-अलग दलों के बड़े नेताओं से मुलाकात की और सबको इस बात के लिए तैयार किया कि अगर हम साथ हो जाते हैं तो एक ऐसा गठबंधन बना सकेंगे जिसके दम पर नरेंद्र मोदी को केंद्र की सत्ता से बाहर किया जा सकेगा।
अब नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू जिस मंशा से साल 2019 और 2024 में घूम रहे थे आज उसे साकार करने का उनके पास अवसर आ गया है।
मोदी को सुबह, दोपहर, शाम, पूरा हप्ता, महीना, 365 दिन एक ही टेंशन रहेंगी सरकार रहेंगी या जाएगी।
और एक सुबह मोदी उठकर देखेगा सत्ता तो चली गई होगी।
फूटबॉल को किक मारने के लिये बोल को पेरों के निचे लाना पड़ता है नायडू और नीतीश के पेरों मे फूटबॉल आ गया है कब किक मारेंगे पता भी नहीं चलेगा।
क्या अजीब राजनीति है ?
एक दिन नीतीश कुमार को आतंकी इशरत जहां का अब्बू बताने वाले अमित शाह, मोदी और अमित शाह को गोधरा काण्ड के मुस्लिमों का हत्यारा बताने वाले नीतीश कुमार आज एक ही मंच पर बैठे हुए एक दूसरे की तरीफो में कसीदे पढ़ रहे है ।
आज देश की आधे से अधिक जनता इसलिए खुश है , उसको लग रहा है कि ये सब लोग देश की जनता के कल्याण के लिए एकजुट हुए है, जबकि सच यह है कि सांप नेवले की तरह आपस में लड़ने वाले ये नेता आज जनकल्याण के लिए नही बल्कि देश की राजनीति में अपने खत्म होते राजनैतिक अस्तित्व को बचाने और देश की जनता का लूटा हुआ लूट का माल सुरक्षित करने के लिए एक मंच पर इक्कट्ठे हुए है ।
आज की राजनैतिक तस्वीर को देखकर मुझे प्रकाश झा की फिल्म अपहरण का वो दृश्य याद आ रहा है की कैसे एक दूसरे के धुर विरोधी रहे गृह मंत्री दिनकर पांडे और विधायक तबरेज आलम एक दूसरे के सहयोग से सरकार बनाते है और दिनकर पाण्डे अपनी सरकार और खुद को बचाने के लिए गृह मंत्री जैसा महत्वपूर्ण पद भी जीवन भर अपहरण के धंधे में शामिल रहे विधायक तबरेज आलम को सौंप देते है , और एक दूसरे के पक्ष में एक दूसरे की जान लेने वाले उनके समर्थक देखते के देखते रह जाते है।
अब देखना यह है कि ये बेमेल की शादी कितने दिनों तक चलती है और इस बारात के बाराती इस बारात में दूल्हे के साथ कितनी दूर तक चलते है?
राजीव कुमार शर्मा
मानव अधिकार पक्षकार, पिनाकी मोरे