सांसद में सरेआम अपमानजनक और व्यंगात्मक टिप्पणी आगामी चुनावी अखाड़े में इन्हे महंगी पड़ सकती है

विशेष संवाददाता एवं ब्यूरो

बीजेपी के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर जातिगत जनगणना के मुद्दे पर की गई व्यंग्यात्मक और अपमानजनक टिप्पणी बीजेपी को निकट भविष्य की चुनावी राजनीति के मैदान में महँगी पड़ सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनुराग ठाकुर की पीठ थपथपा कर मामले को दिलचस्प बना दिया है।

बताते चलें कि अनुराग ठाकुर पिछले कुछ समय “देश के ग़द्दारों को, गोली मारों—- को” का नारा लगाकर काफी कुख्याति अर्जित कर चुके हैं। लेकिन प्रधानमंत्री का उनको शाबाशी देना एक बार फिर यह प्रमाणित करता है कि मोदी अपने इर्दगिर्द गालीबाजों को कितना पसंद करते हैं। इस बार लोकसभा में स्मृति ईरानी नहीं हैं तो गालीबाजी में अनुराग ठाकुर की भूमिका और बढ गई है।

अनुराग ठाकुर ने राहुल गांधी का नाम लिये बिना उन पर हमला करते हुए कहा कि जिसकी जात का पता न हो वह जाती गणना की बात कर रहा है! इस पर अखिलेश यादव ने आक्रोश में तमतमाते हुए कहा कि जाति कैसे पूछ सकते हैं? अखिलेश यादव की यह प्रतिक्रिया सदन में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर हमले के जवाब में एक दोस्ताना हस्तक्षेप से आगे जाकर इंडिया गठबंधन की उस राजनीति के विस्तार का रास्ता खोलती है जिस पर चलकर विपक्ष ने , यानी राहुल गांधी और अखिलेश यादव की जोडी ने लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में बीजेपी को धूल चटा दी और बीजेपी आज तक उस तगडी चोट से उबर नहीं पायी है।

गौर तलब हो कि अभी उत्तर प्रदेश की दस विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं। लोकसभा में अनुराग ठाकुर की टिप्पणी पर राहुल गांधी की प्रतिक्रिया से साफ हो गया है कि इंडिया गठबंधन बीजेपी के हिंदुत्व कार्ड के मुकाबले जाति के सवाल को, जातिगत जनगणना के सवाल को, दलितों, पिछड़ों, वंचितों की हिस्सेदारी, उनके अधिकार के सवाल को जमकर उठाएगा। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के ट्वीट से भी उस रणनीति का संकेत मिलता है। तेजस्वी यादव ने अपने ट्वीट में अखिलेश के भाषण को ही साझा कर दिया है। यानी एक तरफ से तगड़ी मोर्चेबंदी की तैयारी हो रही है। इधर, बीजेपी उत्तर प्रदेश में जबरदस्त आपसी संघर्ष , भीतरघात में उलझी हुई है।

योगी आदित्यनाथ की न तो अपने दोनों उपमुख्यमंत्रियों से बन रही है न ही दिल्ली दरबार से उनके रिश्ते ठीक चल रहे हैं। महाराष्ट्र और हरियाणा में भी बीजेपी कमजोर स्थिति में है। ऐसे में, जातिगत जनगणना के बहाने जाति की राजनीति क्या गुल खिलाती है, यह जल्द ही सामने आ जाएगा।

साभार ; पिनाकी मोरे

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