हमेशा के लिए दुनया से चल बसी शहिद हेमंत करकरे की पत्नी! ये भी जाने ,जाते – जाते उन्होंने जमाने को क्या संदेश दिया ?

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रिपोर्टर.

कविता करकरे का पार्थिव शरीर आज सुबह पंचतत्व में विलीन हो गया।
जाते-जाते एक बार फिर उन्होंने ज़माने को संदेश दे दिया कि वो एक वीर की पत्नी ही नहीं, खुद भी एक वीरांगना हैं।

उनके पति हुए थे देश के लिए कुर्बान, उन्होंने मरने के बाद कईयों को दिया जीवनदान!
ये कहानी है कविता करकरे की, शहीद हेमंत करकरे की पत्नी।

वही हेमंत करकरे जो 26/11 के आतंकी हमले में शहीद हो गए थे। 6 साल पहले हेमंत करकरे डिनर के लिए पत्नी के साथ आउटिंग पर गए थे।
एक फोन कॉल के बाद आधे में डिनर छोड़कर निकले और फिर कभी नहीं लौटे!
उसी वीर की पत्नी ने साबित कर दिया कि वो भी किसी से कम नहीं।
सोमवार सुबह मष्तिष्क घात के बाद कविता दुनिया छोड़ गईं।

लेकिन जाते-जाते तीन लोगों को जिंदगी दे गईं।
कविता की एक किडनी 48 साल के एक शख्स को दी गई, जो 10 साल से डायलिसिस पर बस इस इंतज़ार में था कि कोई उसे जिंदा रहने के लिए एक किडनी दे दे।

दूसरी किडनी जसलोक अस्पताल में 59 साल के एक शख्स को दी गई, जो सात साल से किडनी ट्रांसप्लांट का इंतज़ार कर रहा था और कविता के लीवर ने कोकिलाबेन अम्बानी अस्पताल में 49 साल के एक शख्स को नई ज़िंदगी दे दी।
परेल के हाजी बचूली में दान की गईं कविता ने आंखें भी कई लोगों की रोशनी बन रही हैं।

कविता करकरे के इस महादान के पीछे उनके तीन बच्चों का भी हाथ है,जिन्होंने अपनी भावनाओं पर काबू रखते हुए अपनी मां के शरीरदान की इजाज़त दे दी।

कविता करकरे ने जाते-जाते ये बता दिया कि उनका परिवार जान देना भी जानता है और जिंदगी देना भी।
इसे वीरों का परिवार कहें, तो गलत नहीं होगा। इस परिवार को शत शत नमन।
भावपूर्ण श्रद्धांजली.

 

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